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*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ (Vnita kasnia punjab)🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈🌹🌹राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥🌹🌹🌹🌹इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र भी कहा जाता है।और इसका जाप, सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनामया विष्णु के 1000 नामों के जाप के समतुल्य है।यह मंत्र श्रीरामरक्षास्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता🌹🌹🌹🌹🌹श्री राम को समझिऐ,!!!!!!!✒✒ "राम" अत्यन्त विलक्षण शब्द है ।साधकों के द्वारा "बीज मन्त्र" के रूप में "राम" का प्रयोग अनादि काल से हो रहा हैऔर न जाने कितने साधक इस मन्त्र केसहारे परमपद प्राप्त कर चुके हैं ।🌹🌹🌹🌹आज "राम" कहते ही दशरथ -पुत्रधनुर्धारी राम का चित्र उभरता है परन्तु "राम" शब्द तो पहले से ही था ।तभी तो गुरु वशिष्ठ ने दशरथ केप्रथम पुत्र को यह सर्वश्रेष्ठ नाम प्रदान किया ।🌹🌹🌹🌹धार्मिक परम्परा में "राम" और"ओऽम्" प्रतीकात्मक है और "राम" सार्थक ।🌹🌹🌹🌹राम शब्द में आखिर ऐसा क्या है ?इस प्रश्न का यही उत्तर हो सकता है कि "राम" में क्या नहीं है ?थोड़ा सा विचार करिए । "राम" तीन अक्षरों से मिलकर बना है । "र" + "अ" + "म" "राम" के इन तीन घटक अक्षरों को { 6 } छः प्रकार सेव्यवस्थित किया जा सकता है ।🌹🌹🌹🌹"र" + "अ" + "म" = राम"र" + "म" + "अ" = रमा"म" + "अ" + "र" = मार { कामदेव }"म" + "र" + "अ" = मरा"अ" + "म" + "र" = अमर"अ" + "र" + "म" = अरम🌹🌹🌹🌹उपरोक्त प्रकार देखने से स्पष्ट हो जाता है किइन तीन अक्षरों में सृष्टि की उत्पत्ति सृजन प्रसारऔर विलय सब समाया हुआ है .और इतना ही नहीं यह भी प्रकट हो जाता हैकि प्रत्यक्षतः विरोधाभासी दिखनेवाले सब एक ही हैं ।मायावश ही उनके विरोध का आभास होता है ।🌹🌹🌹🌹विस्तार से देखें - जो "राम" पुरुष हैंवही "रमा" अर्थात् स्त्री प्रकृति है ।"राम" पुरुष रूप में सारी विश्व -ब्रह्माण्ड सृष्टि का कारण है ,आक्रमक बल है।वही "रमा" स्त्री प्रकृति के रूप में संग्राहक हैसृजन की निर्माणकर्ता है ।राम पुरुष बल प्रधान है ,"रमा" संवेदना प्रधान ।"राम" बुद्धि प्रधान है ,विश्लेषणात्मक है।रमा भावना प्रधान है ,संश्लेषणात्मक है ।🌹🌹🌹🌹पुरुष और प्रकृति अलग - अलग नहीं हैंऔर न उनके परस्पर सम्बन्ध की ही कोई स्वतन्त्र सत्ता है ।जो "राम" है वही "रमा" है और वही "मार" है ।🌹🌹🌹🌹नारायण ! अब दूसरा युग्म लें ।जो "अमर" है वही "मरा" है ।अर्थात् तात्विक दृष्टि से देखें तो अमरत्वऔर मरणधर्मिता , शाश्वता औरक्षणभंगुरता अलग - अलग नहीं हैं ।जो क्षणभंगुर दिखाई देता है ,जो सतत परिवर्तनशील दिखाई देता है ,वही अमर है ,शाश्वत है ।मृत्यु और परिवर्तन तो आभास मात्र है ,बुद्धि के द्वारा उत्पन्न भ्रम है ।मृत्यु होती ही नहीं ।🌹🌹🌹🌹नारायण ! अब छठा शब्द बनता है "अ"+"र"+"म"=अरम अर्थात् जिसमें रमा न जा सके ।बड़ी विचित्र बात लगती है कि जिसे विद्वान् ,गुणी जन कहते है किसब में "रमा" है व "अरम" कैसे हो गया ?विद्वान् और "सिद्ध" में यही भेद है ।विद्वान् "उसे" देखता है और समझने की चेष्टा करता है ।सिद्ध उसे अनुभव करता है और ,उसके साथ एकाकार हो जाता है ।तुलसीदासजी ने गाया है -"जानत तुमहिं , तुमहिं होय जाई" ।🌹🌹🌹🌹अह ह ह ! बूँद सागर में गिरी तो स्वयं सागर हो गई ।जब बून्द बची ही नहीं तो रमेगा कौन ?वह परासत्ता , वह चरम वास्तविकता ,वह परब्रह्म तो "अरम" ही हो सकता है ।🌹🌹🌹🌹इस विराट् अर्थवत्ता के कारण ही"राम : नाम " महामन्त्र है और उसकेअनवरत जप से कालान्तर में उसमें निहित सार ,अर्थ और सृष्टि के सारे रहस्यस्वतः प्रकट होकर साधक कोजीवन्मुक्त का परमपद प्रदान करते हैं।🌹🌹*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...