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(((( नाम जपने वाले कि रक्षा )))). by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब एक संत हुए श्री अनंतकृष्ण बाबा जी। उनके पास एक लड़का सत्संग के लिए आया करता था। .प्रभावित होकर दीक्षा के लिए प्रार्थना करने पर बाबा ने कहा कि महामंत्र का ११ लाख जप करके आओ उसके बाद विचार करेंगे। .लगभग कुछ महीनों में संख्या पूरी करके वह बाबा के पास पुनः आया। बाबा ने कहा ११ लाख और जप करके आना। .अभी ३ - ४ वर्ष ही बीते थे साधक जीवन मे प्रवेश किए हुए। उसके मन मे श्रद्धा की कमी हो गयी। .वह एक दिन कही जा रहा था तो एक तांत्रिक को कुछ सिद्धियों का प्रदर्शन करते हुए देखा। .तांत्रिक ने उससे अपने बारे मे पूछा, उसने अपनी उपासना के बारे मे बताया।.तांत्रिक ने पूछा कि तुम इतने वर्षों से इतनी संख्या में जप करते हो, साधन करते हो उससे तुम्हे कुछ अनुभूति हुई ? .उस लड़के ने कहा अनुभूति तो हुई नही। .तांत्रिक ने कहा की देखो तुम आदि जवान हो, हमारी तरह प्रेत सिद्ध कर लो, तुम्हारे सब काम प्रेत कर दिया करेगा, .मै भी प्रेतों से सब काम करवाता हूं और मौज करता हूँ। यह शीघ्र ही थोडे मंत्रो के जप से सिद्ध हो जाता है। .उसमें तांत्रिक से साधन की विधि जानी। उसने विधि से तंत्रिक मंत्रो का जाप किया पर कुछ हुआ नही। .उसने तांत्रिक से कहा की मुझे तो कोई प्रेत सिद्ध हुआ नही। .तांत्रिक ने कहा पुनः प्रयास करो। इस बार भी प्रेत प्रकट नही हुआ। .तांत्रिक ने प्रेत को बुलाकर पूछा कि तुम इसके सामने क्यों नही प्रकट होते ?.उस प्रेत ने कहा मै तो जैसे ही इसके थोड़े निकट जाता हूँ, इसके पीछे एक चक्र प्रकट हो जाता है। .मै महान बलवान होने पर भी उस चक्र के तेज के सामने टिक नही सकता। अवश्य ही कोई शक्ति इसकी रक्षा करती है। .इस घटना के कुछ समय बाद उसको बाबा की याद आयी। .जब वह बाबा के पास आया तो बाबा बोले, बच्चा ! तेरा पतन होने से साक्षात नाम भगवान ने सुदर्शन रूप से तुझे बचा लिया। .नाम भगवान यदि तुझे नही बचाते तो हजारो वर्षो तक तू भी प्रेत योनि में कष्ट पाता फिरता। .नाम का प्रभाव प्रकट रूप से न दिखे तब भी नाम का प्रभाव होता ही है। नाम जपने वाले कि रक्षा भगवान सदा करते है।.इस प्रसंग से शिक्षा मिलती है की वैष्णवो को कभी भी तंत्र भूत सिद्धियों के चक्कर मे नही पड़ना चाहिए।~~~~~~~~~~~~~~~~~ ((((((( जय जय श्री राधे )))))))~~~~~~~~~~~~~~~~~

(((( नाम जपने वाले कि रक्षा ))))

By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब,
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एक संत हुए श्री अनंतकृष्ण बाबा जी। उनके पास एक लड़का सत्संग के लिए आया करता था। 
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प्रभावित होकर दीक्षा के लिए प्रार्थना करने पर बाबा ने कहा कि महामंत्र का ११ लाख जप करके आओ उसके बाद विचार करेंगे। 
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लगभग कुछ महीनों में संख्या पूरी करके वह बाबा के पास पुनः आया। बाबा ने कहा ११ लाख और जप करके आना। 
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अभी ३ - ४ वर्ष ही बीते थे साधक जीवन मे प्रवेश किए हुए। उसके मन मे श्रद्धा की कमी हो गयी। 
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वह एक दिन कही जा रहा था तो एक तांत्रिक को कुछ सिद्धियों का प्रदर्शन करते हुए देखा। 
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तांत्रिक ने उससे अपने बारे मे पूछा, उसने अपनी उपासना के बारे मे बताया।
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तांत्रिक ने पूछा कि तुम इतने वर्षों से इतनी संख्या में जप करते हो, साधन करते हो उससे तुम्हे कुछ अनुभूति हुई ? 
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उस लड़के ने कहा अनुभूति तो हुई नही। 
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तांत्रिक ने कहा की देखो तुम आदि जवान हो, हमारी तरह प्रेत सिद्ध कर लो, तुम्हारे सब काम प्रेत कर दिया करेगा, 
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मै भी प्रेतों से सब काम करवाता हूं और मौज करता हूँ। यह शीघ्र ही थोडे मंत्रो के जप से सिद्ध हो जाता है। 
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उसमें तांत्रिक से साधन की विधि जानी। उसने विधि से तंत्रिक मंत्रो का जाप किया पर कुछ हुआ नही। 
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उसने तांत्रिक से कहा की मुझे तो कोई प्रेत सिद्ध हुआ नही। 
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तांत्रिक ने कहा पुनः प्रयास करो। इस बार भी प्रेत प्रकट नही हुआ। 
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तांत्रिक ने प्रेत को बुलाकर पूछा कि तुम इसके सामने क्यों नही प्रकट होते ?
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उस प्रेत ने कहा मै तो जैसे ही इसके थोड़े निकट जाता हूँ, इसके पीछे एक चक्र प्रकट हो जाता है। 
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मै महान बलवान होने पर भी उस चक्र के तेज के सामने टिक नही सकता। अवश्य ही कोई शक्ति इसकी रक्षा करती है। 
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इस घटना के कुछ समय बाद उसको बाबा की याद आयी। 
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जब वह बाबा के पास आया तो बाबा बोले, बच्चा ! तेरा पतन होने से साक्षात नाम भगवान ने सुदर्शन रूप से तुझे बचा लिया। 
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नाम भगवान यदि तुझे नही बचाते तो हजारो वर्षो तक तू भी प्रेत योनि में कष्ट पाता फिरता। 
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नाम का प्रभाव प्रकट रूप से न दिखे तब भी नाम का प्रभाव होता ही है। नाम जपने वाले कि रक्षा भगवान सदा करते है।
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इस प्रसंग से शिक्षा मिलती है की वैष्णवो को कभी भी तंत्र भूत सिद्धियों के चक्कर मे नही पड़ना चाहिए।
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  ((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...