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धर्म के चार पायदान (अंग) है, by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सत्य, तप, दान (दया), और शौच (पवित्रता)। अभी कलयुग चल रहा है, जिसमे धर्म केवल एक पायदान पर खड़ा है, वो है दान (दया), धर्म के तीन पायदान कलयुग में नही है, सत्य, तप व शौच!1. सत्य --- सत्य ही परमात्मा है । सत्य और परमात्मा भिन्न नही है । जहाँ सत्य है वहीँ परमात्मा है । जो असत्य बोलता है,उसके पुण्यो का क्षय होता है । सत्य का आश्रय लेकर नर नारायण के समीप जा सकता है । जो मितभाषी है वह सत्यवादी हो सकता है ।2. तप---- दुःख सहकर परमात्मा की आराधना करना ही तप है ।दुःख सहता हुआ प्रभु का भजन करे वही श्रेष्ठ है । जीभ जो माँगे वह सब कुछ उसे देते मत रहो । कुछ सहन करना भी सीखे ।इन्द्रियो का स्वामी आत्मा है । इन्द्रिय जो कुछ माँगे उसे देने पर आत्मा उसका गुलाम बन जायेगा । उपवास करने से पाप भस्मीभूत होते है । भगवान के लिए कष्ट सहना , दुःख सहना ही तप है । वाणी मे भी संयम होना चाहिए ।3. पवित्रता ---- कलियुग मे तो बाहर से सब पवित्र लगते है किन्तु अन्दर से सभी मलिन हो गये है ।वस्त्रो का दाग तो मिट जाता है किन्तु हृदय की कालिमा कभी नहीं मिट सकती । जीवात्मा सब कुछ छोड देता है किन्तु मन को नही ।पूर्वजन्म का शरीर नहीँ रहता किन्तु मन तो रहता ही है ।लोग वस्त्र , अन्नादि की देखभाल तो खूब करते हैँ किन्तु साथ जाने वाले मन की देखभाल नहीँ कर पाते जो मृत्यु के बाद भी साथ जाने वाला है । मृत्यु के बाद साथ जाने वाले मन को पवित्र रखे ।4. दया---- प्राणी मात्र के प्रति सहानुभूति रखना दया कहा जाता है । श्रुति कहती है कि जो केवल अपने लिए अन्न पकाता है वह अन्न नही पाप खाता है ।अपने साथ ही अतिथि, बालक, गाय, आदि के लिए भी भोजन का प्रबन्ध करना चाहिए । *!! जय माता दी !!* *!! जय माँ भवानी !!*Religion has four pedestals (organs), by philanthropist Vanita Kasani Punjab, truth, tenacity, charity (mercy), and defecation (purity). Right now the Kalyug is going on, in which religion is standing on only one position, that is charity (mercy), three places of religion is not in the Kalyuga, truth, tenacity and defecation! 1. Truth --- Truth is divine. Truth and God are not different. Where there is truth, there is God. He who speaks untrue, his virtue is decayed. The male can approach Narayana by taking shelter of truth. One who is reticent may be truthful. 2. Tenacity ---- Worshiping God with sorrow is austerity. To worship God with sorrow is the best. Do not give everything that the tongue asks for. Also learn to bear something. The Lord of India is a soul. The soul will become its slave when it is given to the senses. Sins are consumed by fasting. Suffering for God, suffering is tenacity. There should also be restraint in speech. 3. Purity ---- In Kali Yuga, all seem pure from outside, but all have been smeared from inside. The stain of the clothes is erased, but the heart can never disappear. The person leaves everything but the mind does not. The body of the previous birth does not exist, but the mind remains. People care a lot about clothes, birthdays, but they are unable to take care of the mind that goes along even after death. Going to do. After death, keep the mind that goes along with it pure. 4. Kindness ---- To be sympathetic to a mere creature is called kindness. Shruti says that he who cooks food only for himself does not eat food and sins. One should also provide food for guest, child, cow, etc. * !! Hail mother goddess !! * * !! Jai Maa Bhavani !! *

धर्म के चार पायदान (अंग) है, by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब सत्य, तप, दान (दया), और शौच (पवित्रता)। अभी कलयुग चल रहा है, जिसमे धर्म केवल एक पायदान पर खड़ा है, वो है दान (दया), धर्म के तीन पायदान कलयुग में नही है, सत्य, तप व शौच!

1. सत्य --- 
सत्य ही परमात्मा है ।
 सत्य और परमात्मा भिन्न नही है । जहाँ सत्य है वहीँ परमात्मा है । जो असत्य बोलता है,उसके पुण्यो का क्षय होता है । सत्य का आश्रय लेकर नर नारायण के समीप जा सकता है । जो मितभाषी है वह सत्यवादी हो सकता है ।

2. तप----
 दुःख सहकर परमात्मा की आराधना करना ही तप है ।

दुःख सहता हुआ प्रभु का भजन करे वही श्रेष्ठ है । जीभ जो माँगे वह सब कुछ उसे देते मत रहो । कुछ सहन करना भी सीखे ।इन्द्रियो का स्वामी आत्मा है । इन्द्रिय जो कुछ माँगे उसे देने पर आत्मा उसका गुलाम बन जायेगा । उपवास करने से पाप भस्मीभूत होते है । भगवान के लिए कष्ट सहना , दुःख सहना ही तप है । वाणी मे भी संयम होना चाहिए ।

3. पवित्रता ----
 कलियुग मे तो बाहर से सब पवित्र लगते है किन्तु अन्दर से सभी मलिन हो गये है ।वस्त्रो का दाग तो मिट जाता है किन्तु हृदय की कालिमा कभी नहीं मिट सकती । 

जीवात्मा सब कुछ छोड देता है किन्तु मन को नही ।पूर्वजन्म का शरीर नहीँ रहता किन्तु मन तो रहता ही है ।लोग वस्त्र , अन्नादि की देखभाल तो खूब करते हैँ किन्तु साथ जाने वाले मन की देखभाल नहीँ कर पाते जो मृत्यु के बाद भी साथ जाने वाला है । मृत्यु के बाद साथ जाने वाले मन को पवित्र रखे ।

4. दया----
 प्राणी मात्र के प्रति सहानुभूति रखना दया कहा जाता है । 

श्रुति कहती है कि जो केवल अपने लिए अन्न पकाता है वह अन्न नही पाप खाता है ।अपने साथ ही अतिथि, बालक, गाय, आदि के लिए भी भोजन का प्रबन्ध करना चाहिए ।

                       *!! जय माता दी !!*
                     *!! जय माँ भवानी !!*Religion has four pedestals (organs), by philanthropist Vanita Kasani Punjab, truth, tenacity, charity (mercy), and defecation (purity). Right now the Kalyug is going on, in which religion is standing on only one position, that is charity (mercy), three places of religion is not in the Kalyuga, truth, tenacity and defecation!

  1. Truth ---
  Truth is divine.
   Truth and God are not different. Where there is truth, there is God. He who speaks untrue, his virtue is decayed. The male can approach Narayana by taking shelter of truth. One who is reticent may be truthful.

  2. Tenacity ----
   Worshiping God with sorrow is austerity.

  To worship God with sorrow is the best. Do not give everything that the tongue asks for. Also learn to bear something. The Lord of India is a soul. The soul will become its slave when it is given to the senses. Sins are consumed by fasting. Suffering for God, suffering is tenacity. There should also be restraint in speech.

  3. Purity ----
   In Kali Yuga, all seem pure from outside, but all have been smeared from inside. The stain of the clothes is erased, but the heart can never disappear.

  The person leaves everything but the mind does not. The body of the previous birth does not exist, but the mind remains. People care a lot about clothes, birthdays, but they are unable to take care of the mind that goes along even after death. Going to do. After death, keep the mind that goes along with it pure.

  4. Kindness ----
   To be sympathetic to a mere creature is called kindness.

  Shruti says that he who cooks food only for himself does not eat food and sins. One should also provide food for guest, child, cow, etc.

                         * !! Hail mother goddess !! *
                       * !! Jai Maa Bhavani !! *

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...