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Know the benefits of apricot from the heart to beauty - Khubani ke fayde by social worker vanita kasaniya punjab4Nutritional Properties of Apricot Health Benefits of Apricot Other Benefits of Apricot Apricot Vnita Pu

दिल से लेकर खूबसूरती के लिए जाने खुबानी के फायदे - Khubani ke fayde By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब

खुबानी के फायदे - Apricot Benefits in Hindi

खुबानी (Apricot) अपनी खूबियों के लिए विश्वभर में मशहूर है। फूड लवर इसे बेहद पसंद करते हैं। खासतौर से ताजा और फ्रेश फ्रूट्स खाने वाले लोगों का यह पसंदीदा फल है। इसकी एक खास वजह यह भी है कि खुबानी (apricot in hindi) का आकार जितना खूबसूरत है, उसका स्वाद उससे भी ज्यादा रसीला। खुबानी, दरअसल एक रसदार और भरपूर सुगंध से भरा फल है, जिसका उपयोग न सिर्फ कई प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है, बल्कि इसे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभदायक माना जाता है।

खुबानी यानि एप्रिकाॅट की उत्पत्ति के बारे में मान्यता है कि चार हजार साल पहले खुबानी की खेती (apricot in hindi) चीन में शुरू हुई थी। फिर जब लोग व्यापार के लिए वहां जाने लगे तो वापसी के दौरान इसे साथ देकर आने लगे। बाद में इसकी खेती यूरोप में की जाने लगी। फिर अंग्रेज इसे भी ले गये। फिलहाल विक्टोरिया इसका मुख्य उत्पादक बन गया है। स्वाद के साथ ही इसे खाने से भूख भी शांत हो जाया करती थी तो धीरे- धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। खुबानी की खूबियों ने खाने- पीने के शौकीनों को इसका दीवाना बना दिया है। तो आइये जानते हैं कि किन कारणों से खुबानी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है।

खुबानी के पोषक गुण - Apricot Nutritional Value in Hindi

Nutrient of Apricot in Hindi

खुबानी में विटामिन ए, सी, पौटेशियम और मैंगनीज़ जैसे आवश्यक तत्वों और डाइटरी फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो सेहत को काफी लाभ पहुंचाती हैं।

खुबानी को लोग खास तौर पर नाश्ते में खाना पसंद करते हैं। इसकी गिनती बेशक मीठे खाद्य पदार्थ में की जाती है लेकिन यह सिर्फ मीठे पदार्थ के रूप में ही सीमित नहीं है। मध्य पूर्वी देशों में कई व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए, यहां तक कि मांसाहारी भोजन में भी इसे मसालों के साथ मिला कर पकाया जाता है और लोग खूब चाव से खाते हैं। इसमें ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, अच्छे कोलेस्ट्रॉल और डाइटरी फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है। 

खुबानी के स्वास्थ्य लाभ - Health Benefits of Apricot in Hindi

एंटी कैंसर

खुबानी दिखने में भले ही छोटे आकार का हो, मगर इसके कई गुण हैं। यह न सिर्फ आपका स्वाद बदलता है, बल्कि कैंसर और मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं। खुबानी (apricot in hindi) के बीजों में कैंसर से लड़ने वाले तत्व मौजूद होते हैं। रिसर्च में यह बात साबित भी हो गयी है कि खुबानी के बीज में पाया जाने वाला विटामिन बी 17 कैंसर से बचाता है। इसके साथ- साथ खुबानी में विटामिन ए और विटामिन सी भी अच्छी मात्रा में होता है, जो इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद मिलती है। 

कब्ज में फायदेमंद

कब्ज की बीमारी अब आम है मगर इसकी वजह से पेट से संबंधित कई बीमारियां होने लगती हैं। कब्ज के कारण गैस, पेट दर्द और पेट से जुड़ी कई परेशानियों में खुबानी के सेवन (apricot in hindi) से राहत मिलती है। यह कब्ज की परेशानी को दूर करने में सहायक होता है। इस फल में फाइबर होता है, जिससे पाचन क्रिया दुरुस्त हो सकती है। 

Khubani Ke fayde

दिल का दोस्त

खुबानी को दिल का दोस्त भी कहा जाता है। वजह यह है कि दिल के मरीजों को खाने- पीने से संबंधित कठिन नियम मानने पड़ते हैं। ऐसे में खुबानी उनके स्वाद को बढ़ाता है। जी हां, फाइबर गुण से समृद्ध होने के कारण यह फल शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर अच्छे कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का भी काम करता है। सूखी हुई खुबानी कोरोनरी आर्टरी कैल्सीफिकेशन से भी बचाती है।

एनीमिया से दूरी

एनीमिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने लगता है। इसमें थकान, त्वचा में पीलापन, सांस लेने जैसी तकलीफें होती हैं। ऐसे में डॉक्टर का मानना है कि यह फल उन्हें राहत देता है। विटामिन- सी की मौजूदगी के कारण यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देता है। शरीर में रक्तचाप को बनाए रखने के लिए खुबानी का रोजाना सेवन किया जाना चाहिए।

अस्थमा से राहत

खुबानी में मौजूद विटामिन- सी के कारण अस्थमा के रोगियों को भी इसके सेवन करने की राय दी जाती है। विटामिन सी उच्च स्तर सांस की तकलीफ को कम करने में मदद करता है। साथ ही वह सांस की तकलीफ और संक्रमण को दूर करने में भी सहायक होता है।

आंखों के लिए बढ़िया

उम्र के साथ- साथ आंखों की परेशानियां भी धीरे- धीरे घर करने लगती हैं। ऐसे में आंखों की सेहत का ख्याल रखना भी आवश्यक है। खुबानी इसमें सहायक होता है। माना जाता है कि 40 की उम्र के बाद आंखों की रोशनी कमजोर होने लगती है। सही पोषण की कमी इसका बड़ा कारण है। ऐसे में खुबानी में मौजूद विटामिन सी और बी- कैरोटीन आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक होते हैं। हर दिन इसके सेवन से आंखों की रोशनी बरकरार रहती है।

तंदरुस्त हड्डियां

खुबानी यानि एप्रिकाॅट आपकी हड्डियों को भी तंदरुस्त बनाने में सहायक है। इसकी वजह है कि इसमें आवश्यक मीनिरल्स हैं, जिनमें पोटैशियम के साथ- साथ कैल्शियम की भी मात्रा शामिल है। इसमें मैंगनीज की भी मात्रा है, इसलिए यह स्वास्थ्य के साथ- साथ आपकी हड्डियों को भी मजबूत करने में सहायक होता है। हड्डियों को मजबूत करने के लिए इसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जा सकता है, खासतौर से मीठे पकवान और मसाले से बनने वाले व्यंजन में इसका इस्तेमाल हो सकता है या फिर इसे यूं ही फल के रूप में भी खाया जा सकता है।

इलेक्ट्रोलाइट संतुलन

खुबानी के सेवन से एक अहम फायदा यह भी है कि इससे आपके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन पूरी तरह से बरकरार रहता है। इसमें मौजूद पोटैशियम इस संतुलन में मददगार होता है, जिसके कारण हृदय रोग से बचने में आसानी होती है।

Apricot in Hindi

त्वचा के लिए अच्छा

खुबानी (एप्रिकाॅट) के न सिर्फ सेहत संबंधी फायदे हैं, बल्कि इसके सेवन से आपकी त्वचा भी बेहतरीन रहती है। इसके सेवन से एंटी एजिंग की समस्या से निजात पाई जा सकती है। रोजाना दो या तीन खुबानी का सेवन किया सकता है। यही नहीं, इसका फेस पैक बनाने में भी प्रयोग कर सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन- सी त्वचा के लिए फायदेमंद है, जो चेहरे को चमकदार बनाने में सहायक होता है। यही वजह है कि खुबानी का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसे क्रीम, स्क्रब, फेस पैक, जेल, फेसवॉश में किया जाता है। खुबानी के तेल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

बुखार करे ठीक

खुबानी सीजनल बुखार को भी ठीक करने में सहायक होता है। इसके एंटी ऑक्सीडेंट तत्व इसमें मदद करते हैं। बुखार होने पर ऊर्जा के लिए कई बार डॉक्टर इसके सेवन की सलाह देते हैं।

डॉक्टर का कहना है कि अगर बुखार में मरीज को और कुछ भी खाने की इच्छा न हो तो खुबानी देने से उन्हें न सिर्फ ऊर्जा मिलती है, बल्कि उनके मुंह का स्वाद भी बहुत हद तक बदलता है और मिजाज अच्छा हो जाता है।

खुबानी फल के अन्य फायदे - Khubani ke Fayde in Hindi

Dried Apricot in Hindi

त्वचा और सेहत के अलावा खुबानी (एप्रिकाॅट) के अन्य फायदे भी हैं। खुबानी बालों को भी स्वस्थ रखने का काम करता है। खुबानी के तेल में मौजूद विटामिन ए और ई बालों को बढ़ाने में मदद करता है। इसके तेल का इस्तेमाल रेगुलर शैंपू और कंडीशनर में किया जाता है। इसके तेल की मालिश से स्कैल्प को काफी आराम भी मिलता है। इसके सेवन से स्कैल्प की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। गर्मी के दिनों में खुबानी के सेवन से शरीर में ठंडक बनी रहती है।

खुबानी का उपयोग व सेवन

आप खुबानी को दही के साथ मिलाकर खा सकते हैं या अपने सुबह के नाश्ते में दलिये के साथ मिला कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।

फलों का जूस निकालते वक्त बाकी फलों के साथ इसे मिला कर खुबानी का मिल्क शेक और जूस भी तैयार किया जा सकता है, जिसे सुबह- सुबह पीना सबसे अच्छा होगा।

आप इसे धोकर ऐसे भी खा सकते हैं, यह स्वादिष्ट लगेगा। 

मीठे पकवानों में इसका उपयोग स्वाद को और बढ़ा देता है। खासतौर से मांसाहारी भोजन में इसके उपयोग से स्वाद बढ़ जाता है।

खुबानी के नुकसान - Side effects of Apricots in Hindi

यह बात तो जगजाहिर है कि किसी भी चीज की अति सही नहीं होती है, फिर चाहे वह कितना भी स्वाद से भरपूर क्यों न हो। ठीक उसी तरह खुबानी (एप्रिकाॅट) के ज्यादातर तो फायदे ही हैं लेकिन इसके सेवन को लेकर कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि खुबानी के बीजों का अत्यधिक सेवन जानलेवा रसायन का कारण भी बन सकता है। सूखे खुबानी के सेवन से आंतों में रुकावट हो सकती है। कई बार इसके सेवन से उल्टी और पेट के नीचे एबडॉमिनल दर्द भी होता है। यह बेहद जरूरी है कि आप जब खुबानी का उपयोग करें तो एक बार डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें। जिन्हें आंतों से संबंधित कोई परेशानी है, वे इसका सेवन न ही करें।

खुबानी के बारे में पूछे जाने वाले सवाल और जवाब - FAQ's

खुबानी (एप्रिकाॅट) किस- किस मौसम में खाया जा सकता है, क्या इसका कोई निर्धारित मौसम है?

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है कि इसका कोई मौसम निर्धारित है। हर मौसम में इसे खाया जा सकता है। हां, अगर यह फल के रूप में न मिले, तो इसे सुखा कर ड्राई फ्रूट्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बहुत कम लोग इस ड्राईफ्रूट के बारे में जानते हैं, जबकि इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई पाया जाता है। साथ ही इसमें पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर और फॉस्फोरस भी होता है। खुबानी फाइबर का भी बेहतरीन स्त्रोत है।

एक दिन में खुबानी का कितना सेवन किया जा सकता है? इसे खाने का कौन सा समय सबसे उपयुक्त है?

अमूमन डॉक्टर की सलाह होती है कि अगर आप फल के रूप में इसे खा रहे हैं तो एक दिन में तीन और अगर सुखे हुए खुबानी खा रहे हैं तो पांच खा सकते हैं। खासतौर से डायबीटिज के मरीजों को कहा जाता है कि वे नाश्ते में खुबानी को अपनी नियमित डाइट में शामिल करें या फिर खाली पेट खा लें।

बाल वनिता महिला आश्रम

आमतौर पर लोगों का सोचना है कि ड्राई फ्रूट्स वाली चीजें वजन बढ़ाती है। क्या इसके सेवन से भी वजन बढ़ सकता है? साथ ही क्या इसकी कीमत बाकी ड्राई फ्रूट्स की तरह बहुत अधिक है?

नहीं, बिल्कुल नहीं। इसके सेवन से तो वजन नियंत्रण में फायदा होता है। इसमें अच्छे कॉलेस्ट्रॉल होते हैं, जो कि वजन घटाने में सहायक होते हैं। यह एक मिथ है कि इस तरह के सभी ड्राई फ्रूट्स वजन बढ़ाते हैं। खुबानी दिल के लिए भी अच्छा है। इसलिए हार्ट के मरीजों को भी इसे खाने की सलाह दी जाती है। इसकी खास बात यह भी है कि यह आसानी से उपलब्ध होता है और इसकी कीमत बहुत अधिक नहीं होती है। आप घर पर भी इस फल को सुखा कर ड्राई फ्रूट्स बना सकते हैं।

यह भारत के किस हिस्से में मिलता है?

यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में, जैसे कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसी जगहों पर उगाया जाता है।

हेल्थ के साथ- साथ क्या इसके ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी अच्छे होते हैं?

हां, खुबानी सेहत के साथ- साथ बालों के लिए भी अच्छा है। तेल के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है। चेहरे के लिए ग्लो मास्क, कील- मुंहासों को मिटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। कई एंटी एजिंग क्रीम में भी इसका खूब उपयोग होता है।

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मानव का मन व इन्द्रियाँ सदैव अत्यन्त स्वतंत्रतापूर्वक तथा बिना किसी नियन्त्रण के कर्म करना चाहती हैं। योगी या भक्त का इन सर्पों को वश में करने के लिए, ईश्वर भक्ति की धुन में अत्यन्त प्रबल होना अति आवश्यक है। वह उन्हें कभी भी कार्य करने की छूट नहीं देता।जैसे कछुआ किसी भी समय अपने अंग समेट लेता है उसी तरह भक्त (ज्ञानी) परमात्मा के स्मरण में अपने मन व सभी इंद्रियों को इंद्रियों के आनंद के आकर्षण से तुरंत वापस खींच लेता है। और पुनः वह विशिष्ट उद्देश्यों से आवश्यकतानुसार उन्हें प्रकट कर लेता है तभी वह सदा कृष्णभावनामृत में स्थिर रह पाता है। (BG-Ch-2, V-58)http://vnita40.blogspot.com/2022/08/19-yoga-for-knee-pain-how-yogasana.htmlगलातियनस (Galatians) 5:24 के अनुसार: "वे सभी जो ईसा मसीह (ईश्वर/God) के हैं, उनसे सच्चा प्रेम करते हैं उन्होंने अपने निम्न स्वयं के साथ, अपने सभी जुनूनों और इच्छाओं को क्रूस पर चढ़ाया है।"गलातियनस 3:28 कहता है: "कोई यहूदी या ग्रीक नहीं है; कोई गुलाम या स्वतंत्र नहीं है; न ही कोई पुरुष या महिला है - क्योंकि सभी यीशु मसीह में एक है; वे सभी एक परमात्मा का (समानुरूप से) अभिन्न अंश हैं।”बाइबल के 11:24 में सेंट ल्यूक ने बड़ी ख़ूबसूरती से कहा है: "जब कोई (संस्कारों के आवरणों से ढकी) अशुद्ध प्यासी आत्मा मन के ज़रिए शान्ति व सुकून की तलाश में बाहर झांकती है तो उसे भौतिक जगत में कहीं भी दिव्यता का पवित्र जल नहीं मिलता, उसे जलरहित देशों से गुजरना पढ़ता है; 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गृहस्थाश्रम में ही रहते हुए, निम्नलिखित तरीक़े से प्रेमपूर्वक निरन्तर पूर्ण परमात्मा का “सतत स्मरण” करना तथा उनके दिव्य गुणों और दिव्य स्वरूप को प्रभावसहित अपने आचरण में उतारना। ⤵️http://vnitak.blogspot.com/2022/08/check-this-post-from.htmlईश्वर करे आपका जीवन दिव्य प्रेम, ज्ञान, शान्ति व परमानन्द से भर जाये! आमीन! आमीन! आमीन!

ज्ञान क्या है? By वनिता कासनियां पंजाब वेद, उपनिषद, गीता, श्री आदि शंकराचार्य जी, प्रभु श्री रामकृष्ण परमहंस जी, गुरू नानक देव जी, संत कबीरदास जी, प्रभु जीसस क्राइस्, प्रभु   गौतमबुद्ध जी व सम्पूर्ण विश्व के  धर्मों का सार  यही कहता हैं कि  ज्ञानी  व्यक्ति या  स्थितप्रज्ञा  की अवस्था वाले व्यक्ति में यह सभी  सूक्ष्म लक्षण  होते हैं: ⤵️ कर्तव्य निभाने   से सम्बंधित लक्षण: प्रतिदिन जितना सम्भव हो सके परमात्मा के प्रति ध्यान-उपासना का निरन्तर एकान्त में भक्ति व प्रेमपूर्वक अभ्यास गृहस्थ जीवन व जीविका अर्जित के सभी कार्यों को सदैव पूर्ण ब्रह्मा की प्रेमभरी सतत याद में डूबे रह कर (जितना सम्भव हो सके) एकान्त में, सेवा भाव में तत्पर रहते हुए निभाना सदा सत्य बोलने का साहस होना समस्त प्राणियों में पूर्ण परमात्मा श्रीकृष्ण को वर्तमान जानना और सम्पूर्ण प्राणियों के प्रति अद्रोह का भाव रखना। [ईशवर की भक्ति व प्रेम से हृदय (आत्मा) पर लगातार ध्यान साधना से समस्त प्राणियों के प्रति स्वतः ही मन में संवेदना, दया व करूणा उत्पन्न हो जाती है।] स...

🕉हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है🕉🙏By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबप्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था.आपने तो मुझे मेरी मूर्छा दूर करने के लिए भेजा था. "सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू"हनुमान्‌जी ने पवित्र नाम का स्मरण करके श्री रामजी को अपने वश में कर रखा है,प्रभु आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मै ही सबसे बड़ा भक्त,राम नाम का जप करने वाला हूँ.भगवान बोले कैसे ? हनुमान जी बोले - वास्तव में तो भरत जी संत है और उन्होंने ही राम नाम जपा है. आपको पता है जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तो मै संजीवनी लेने गया पर जब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मै गिरा, तो भरत जी ने, न तो संजीवनी मंगाई, न वैध बुलाया. कितना भरोसा है उन्हें आपके नाम पर, आपको पता है उन्होंने क्या किया."जौ मोरे मन बच अरू काया,प्रीति राम पद कमल अमाया"तौ कपि होउ बिगत श्रम सूला,जौ मो पर रघुपति अनुकूला सुनत बचन उठि बैठ कपीसा,कहि जय जयति कोसलाधीसा"यदि मन वचन और शरीर से श्री राम जी के चरण कमलों में मेरा निष्कपट प्रेम हो तो यदि रघुनाथ जी मुझ पर प्रसन्न हो तो यह वानर थकावट और पीड़ा से रहित हो जाए. यह वचन सुनते हुई मै श्री राम, जय राम, जय-जय राम कहता हुआ उठ बैठा. मै नाम तो लेता हूँ पर भरोसा भरत जी जैसा नहीं किया, वरना मै संजीवनी लेने क्यों जाता,बस ऐसा ही हम करते है हम नाम तो भगवान का लेते है पर भरोसा नही करते, बुढ़ापे में बेटा ही सेवा करेगा, बेटे ने नहीं की तो क्या होगा?उस समय हम भूल जाते है कि जिस भगवान का नाम हम जप रहे है वे है न, पर हम भरोसा नहीं करते. बेटा सेवा करे न करे पर भरोसा हम उसी पर करते है.2.🕉 - दूसरी बात प्रभु! बाण लगते ही मै गिरा, पर्वत नहीं गिरा, क्योकि पर्वत तो आप उठाये हुए थे और मै अभिमान कर रहा था कि मै उठाये हुए हूँ. मेरा दूसरा अभिमान टूट गया, इसी तरह हम भी यही सोच लेते है कि गृहस्थी के बोझ को मै उठाये हुए हूँ,3.🕉 - फिर हनुमान जी कहते है -और एक बात प्रभु ! आपके तरकस में भी ऐसा बाण नहीं है जैसे बाण भरत जी के पास है. आपने सुबाहु मारीच को बाण से बहुत दूर गिरा दिया, आपका बाण तो आपसे दूर गिरा देता है, पर भरत जी का बाण तो आपके चरणों में ला देता है. मुझे बाण पर बैठाकर आपके पास भेज दिया.भगवान बोले - हनुमान जब मैंने ताडका को मारा और भी राक्षसों को मारा तो वे सब मरकर मुक्त होकर मेरे ही पास तो आये, इस पर हनुमान जी बोले प्रभु आपका बाण तो मारने के बाद सबको आपके पास लाता है पर भरत जी का बाण तो जिन्दा ही भगवान के पास ले आता है. भरत जी संत है और संत का बाण क्या है? संत का बाण है उसकी वाणी लेकिन हम करते क्या है, हम संत वाणी को समझते तो है पर सटकते नहीं है, और औषधि सटकने पर ही फायदा करती है.4.🕉 - हनुमान जी को भरत जी ने पर्वत सहित अपने बाण पर बैठाया तो उस समय हनुमान जी को थोडा अभिमान हो गया कि मेरे बोझ से बाण कैसे चलेगा ? परन्तु जब उन्होंने रामचंद्र जी के प्रभाव पर विचार किया तो वे भरत जी के चरणों की वंदना करके चले है.इसी तरह हम भी कभी-कभी संतो पर संदेह करते है, कि ये हमें कैसे भगवान तक पहुँचा देगे, संत ही तो है जो हमें सोते से जगाते है जैसे हनुमान जी को जगाया, क्योकि उनका मन,वचन,कर्म सब भगवान में लगा है. आप उन पर भरोसा तो करो, तुम्हे तुम्हारे बोझ सहित भगवान के चरणों तक पहुँचा देगे !#बाल_वनिता_महिला_आश्रम🕉जय जय श्री सीता राम🕉🙏

🕉हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है🕉🙏 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था. आपने तो मुझे मेरी मूर्छा दूर करने के लिए भेजा था.   "सुमिरि पवनसुत पावन नामू।    अपने बस करि राखे रामू" हनुमान्‌जी ने पवित्र नाम का स्मरण करके श्री रामजी को अपने वश में कर रखा है, प्रभु आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मै ही सबसे बड़ा भक्त,राम नाम का जप करने वाला हूँ. भगवान बोले कैसे ?  हनुमान जी बोले - वास्तव में तो भरत जी संत है और उन्होंने ही राम नाम जपा है.    आपको पता है जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तो मै संजीवनी लेने गया पर जब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मै गिरा, तो भरत जी ने, न तो संजीवनी मंगाई, न वैध बुलाया. कितना भरोसा है उन्हें आपके नाम पर, आपको पता है उन्होंने क्या किया. "जौ मोरे मन बच अरू काया, प्रीति राम पद कमल अमाया" तौ कपि होउ बिगत श्रम सूला, जौ मो पर रघुपति अनुकूला  सुनत बचन उठि बैठ कपीसा, कहि जय जयति कोसलाधीसा" यदि मन वचन और शरीर से श्री राम जी के चरण कमलों में मेरा निष्कपट प्रेम हो तो यदि रघुनाथ जी मुझ प...

॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्‌ ॥ श्रीगणेशायनम: । अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: । श्रीसीतारामचंद्रोदेवता । अनुष्टुप्‌ छन्द: । सीता शक्ति: । श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌ । श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥ अर्थ : इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्रके रचयिता बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमानजी कीलक है तथा श्रीरामचंद्रजीकी प्रसन्नताके लिए राम रक्षा स्तोत्रके जपमें विनियोग किया जाता है । ॥ अथ ध्यानम्‌ ॥ ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं । पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥ वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं । नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥ अर्थ : ध्यान धरिए — जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं,बद्ध पद्मासनकी मुद्रामें विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दलके समान स्पर्धा करते हैं, जो बायें ओर स्थित सीताजीके मुख कमलसे मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु, मेघश्याम,विभिन्न अलंकारोंसे विभूषित तथा जटाधारी श्रीरामका ध्यान करें । ॥ इति ध्यानम्‌ ॥ चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥ अर्थ : श्री रघुनाथजीका चरित्र सौ कोटि विस्तारवाला हैं ।उसका एक-एक अक्षर महापातकोंको नष्ट करनेवाला है । ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ । जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥ अर्थ : नीले कमलके श्याम वर्णवाले, कमलनेत्रवाले , जटाओंके मुकुटसे सुशोभित, जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान् श्रीरामका स्मरण कर, सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्‌ । स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥ अर्थ : जो अजन्मा एवं सर्वव्यापक, हाथोंमें खड्ग, तुणीर, धनुष-बाण धारण किए राक्षसोंके संहार तथा अपनी लीलाओंसे जगत रक्षा हेतु अवतीर्ण श्रीरामका स्मरण कर, रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ । शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥ अर्थ : मैं सर्वकामप्रद और पापोंको नष्ट करनेवाले राम रक्षा स्तोत्रका पाठ करता हूं । राघव मेरे सिरकी और दशरथके पुत्र मेरे ललाटकी रक्षा करें । कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती । घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥ अर्थ : कौशल्या नंदन मेरे नेत्रोंकी, विश्वामित्रके प्रिय मेरे कानोंकी, यज्ञरक्षक मेरे घ्राणकी और सुमित्राके वत्सल मेरे मुखकी रक्षा करें । जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: । स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥ अर्थ : विद्यानिधि मेरी जिह्वाकी रक्षा करें, कंठकी भरत-वंदित, कंधोंकी दिव्यायुध और भुजाओंकी महादेवजीका धनुष तोडनेवाले भगवान् श्रीराम रक्षा करें । करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ । मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥ अर्थ : मेरे हाथोंकी सीता पति श्रीराम रक्षा करें, हृदयकी जमदग्नि ऋषिके पुत्रको (परशुराम) जीतनेवाले, मध्य भागकी खरके (नामक राक्षस) वधकर्ता और नाभिकी जांबवानके आश्रयदाता रक्षा करें । सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: । ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्‌ ॥८॥ अर्थ : मेरे कमरकी सुग्रीवके स्वामी, हडियोंकी हनुमानके प्रभु और रानोंकी राक्षस कुलका विनाश करनेवाले रघुकुलश्रेष्ठ रक्षा करें । जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: । पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥ अर्थ : मेरे जानुओंकी सेतुकृत, जंघाओकी दशानन वधकर्ता, चरणोंकी विभीषणको ऐश्वर्य प्रदान करनेवाले और सम्पूर्ण शरीरकी श्रीराम रक्षा करें । एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत्‌ । स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥१०॥ अर्थ : शुभ कार्य करनेवाला जो भक्त भक्ति एवं श्रद्धाके साथ रामबलसे संयुक्त होकर इस स्तोत्रका पाठ करता हैं, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनयशील हो जाता हैं । पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: । न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥ अर्थ : जो जीव पाताल, पृथ्वी और आकाशमें विचरते रहते हैं अथवा छद्दम वेशमें घूमते रहते हैं , वे राम नामोंसे सुरक्षित मनुष्यको देख भी नहीं पाते । रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्‌ । नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥ अर्थ : राम, रामभद्र तथा रामचंद्र आदि नामोंका स्मरण करनेवाला रामभक्त पापों से लिप्त नहीं होता, इतना ही नहीं, वह अवश्य ही भोग और मोक्ष दोनोंको प्राप्त करता है । जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्‌ । य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्द्दय: ॥१३॥ अर्थ : जो संसारपर विजय करनेवाले मंत्र राम-नाम से सुरक्षित इस स्तोत्र को कंठस्थ कर लेता हैं, उसे सम्पूर्ण सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं । वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ । अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥१४॥ अर्थ : जो मनुष्य वज्रपंजर नामक इस राम कवचका स्मरण करता हैं, उसकी आज्ञाका कहीं भी उल्लंघन नहीं होता तथा उसे सदैव विजय और मंगलकी ही प्राप्ति होती हैं । आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: । तथा लिखितवान्‌ प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥ अर्थ : भगवान् शंकरने स्वप्नमें इस रामरक्षा स्तोत्रका आदेश बुध कौशिक ऋषिको दिया था, उन्होंने प्रातः काल जागनेपर उसे वैसा ही लिख दिया | आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्‌ । अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्‌ स न: प्रभु: ॥१६॥ अर्थ : जो कल्प वृक्षोंके बागके समान विश्राम देने वाले हैं, जो समस्त विपत्तियोंको दूर करनेवाले हैं और जो तीनो लोकों में सुंदर हैं, वही श्रीमान राम हमारे प्रभु हैं । तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ । पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥ अर्थ : जो युवा,सुन्दर, सुकुमार,महाबली और कमलके (पुण्डरीक) समान विशाल नेत्रों वाले हैं, मुनियोंकी समान वस्त्र एवं काले मृगका चर्म धारण करते हैं । फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ । पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥ अर्थ : जो फल और कंदका आहार ग्रहण करते हैं, जो संयमी , तपस्वी एवं ब्रह्रमचारी हैं , वे दशरथके पुत्र राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें । शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ । रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥ अर्थ : ऐसे महाबली – रघुश्रेष्ठ मर्यादा पुरूषोतम समस्त प्राणियोंके शरणदाता, सभी धनुर्धारियोंमें श्रेष्ठ और राक्षसोंके कुलोंका समूल नाश करनेमें समर्थ हमारा रक्षण करें । आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्‌ग सङि‌गनौ । रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥२०॥ अर्थ : संघान किए धनुष धारण किए, बाणका स्पर्श कर रहे, अक्षय बाणोसे युक्त तुणीर लिए हुए राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करनेके लिए मेरे आगे चलें । संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा । गच्छन्‌मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥ अर्थ : हमेशा तत्पर, कवचधारी, हाथमें खडग, धनुष-बाण तथा युवावस्थावाले भगवान् राम लक्ष्मण सहित आगे-आगे चलकर हमारी रक्षा करें । रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली । काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥ अर्थ : भगवानका कथन है कि श्रीराम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ , पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: । जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥ अर्थ : वेदान्त्वेघ, यज्ञेश,पुराण पुरुषोतम , जानकी वल्लभ, श्रीमान और अप्रमेय पराक्रम आदि नामोंका इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: । अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥ अर्थ : नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करनेवालेको निश्चित रूपसे अश्वमेध यज्ञसे भी अधिक फल प्राप्त होता हैं । रामं दूर्वादलश्यामं पद्‌माक्षं पीतवाससम्‌ । स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥ अर्थ : दूर्वादलके समान श्याम वर्ण, कमल-नयन एवं पीतांबरधारी श्रीरामकी उपरोक्त दिव्य नामोंसे स्तुति करनेवाला संसारचक्रमें नहीं पडता । रामं लक्ष्मणं पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम्‌ । काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌ राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्‌ । वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥२६॥ अर्थ : लक्ष्मण जीके पूर्वज , सीताजीके पति, काकुत्स्थ, कुल-नंदन, करुणाके सागर , गुण-निधान , विप्र भक्त, परम धार्मिक, राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथके पुत्र, श्याम और शांत मूर्ति, सम्पूर्ण लोकोंमें सुन्दर, रघुकुल तिलक , राघव एवं रावणके शत्रु भगवान् रामकी मैं वंदना करता हूं। रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे । रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥ अर्थ : राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात स्वरूप , रघुनाथ, प्रभु एवं सीताजीके स्वामीकी मैं वंदना करता हूं। श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम । श्रीराम राम भरताग्रज राम राम । श्रीराम राम रणकर्कश राम राम । श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥ अर्थ : हे रघुनन्दन श्रीराम ! हे भरतके अग्रज भगवान् राम! हे रणधीर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ! आप मुझे शरण दीजिए । श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि । श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥ अर्थ : मैं एकाग्र मनसे श्रीरामचंद्रजीके चरणोंका स्मरण और वाणीसे गुणगान करता हूं, वाणी द्धारा और पूरी श्रद्धाके साथ भगवान् रामचन्द्रके चरणोंको प्रणाम करता हुआ मैं उनके चरणोंकी शरण लेता हूं | माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: । स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: । सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु । नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥ अर्थ : श्रीराम मेरे माता, मेरे पिता , मेरे स्वामी और मेरे सखा हैं ।इस प्रकार दयालु श्रीराम मेरे सर्वस्व हैं, उनके सिवामें किसी दुसरेको नहीं जानता । दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा । पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम्‌ ॥३१॥ अर्थ : जिनके दाईं और लक्ष्मणजी, बाईं और जानकीजी और सामने हनुमान ही विराजमान हैं, मैं उन्ही रघुनाथजीकी वंदना करता हूं । लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्‌ । कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥ अर्थ : मैं सम्पूर्ण लोकोंमें सुन्दर तथा रणक्रीडामें धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणाकी मूर्ति और करुणाके भण्डार रुपी श्रीरामकी शरणमें हूं। मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ । वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥ अर्थ : जिनकी गति मनके समान और वेग वायुके समान (अत्यंत तेज) है, जो परम जितेन्द्रिय एवं बुद्धिमानोंमें श्रेष्ठ हैं, मैं उन पवन-नंदन वानारग्रगण्य श्रीराम दूतकी शरण लेता हूं । कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ । आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥३४॥ अर्थ : मैं कवितामयी डालीपर बैठकर, मधुर अक्षरोंवाले ‘राम-राम’ के मधुर नामको कूजते हुए वाल्मीकि रुपी कोयलकी वंदना करता हूं । आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ । लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥३५॥ अर्थ : मैं इस संसारके प्रिय एवं सुन्दर , उन भगवान् रामको बार-बार नमन करता हूं, जो सभी आपदाओंको दूर करनेवाले तथा सुख-सम्पति प्रदान करनेवाले हैं । भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्‌ । तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्‌ ॥३६॥ अर्थ : ‘राम-राम’ का जप करनेसे मनुष्यके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं । वह समस्त सुख-सम्पति तथा ऐश्वर्य प्राप्त कर लेता हैं । राम-रामकी गर्जनासे यमदूत सदा भयभीत रहते हैं । रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे । रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: । रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम्‌ । रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥ अर्थ : राजाओंमें श्रेष्ठ श्रीराम सदा विजयको प्राप्त करते हैं । मैं लक्ष्मीपति भगवान् श्रीरामका भजन करता हूं। सम्पूर्ण राक्षस सेनाका नाश करनेवाले श्रीरामको मैं नमस्कार करता हूं । श्रीरामके समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं । मैं उन शरणागत वत्सलका दास हूं। मैं सद्सिव श्रीराममें ही लीन रहूं । हे श्रीराम! आप मेरा (इस संसार सागर से) उद्धार करें । राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥ अर्थ : (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं । मैं सदा रामका स्तवन करता हूं और राम-नाममें ही रमण करता हूं । इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम्‌ ॥ By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹🙏🙏🌹, अर्थ : इस प्रकार बुधकौशिकद्वारा रचित श्रीराम रक्षा स्तोत्र सम्पूर्ण होता है । ॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥

  ॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्‌ ॥ श्रीगणेशायनम: । अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: । श्रीसीतारामचंद्रोदेवता । अनुष्टुप्‌ छन्द: । सीता शक्ति: । श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌ । श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥ अर्थ : इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्रके रचयिता बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमानजी कीलक है तथा श्रीरामचंद्रजीकी प्रसन्नताके लिए राम रक्षा स्तोत्रके जपमें विनियोग किया जाता है । ॥ अथ ध्यानम्‌ ॥ ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं । पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥ वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं । नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥ अर्थ : ध्यान धरिए — जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं,बद्ध पद्मासनकी मुद्रामें विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दलके समान स्पर्धा करते हैं, जो बायें ओर स्थित सीताजीके मुख कमलसे मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु, मेघश्याम,विभिन्न अलंकारोंसे विभूषित तथा जटाधारी श्रीरामका ध्यान करें । ॥ इति ध्यानम्‌ ॥ चरितं रघुनाथस्य श...