एक बार की बात है नारद जी विष्णु भगवानजी से मिलने गए। भगवान ने उनका बहुत सम्मान किया। नारद जी जब वापस गए तो विष्णुजी ने कहा, हे लक्ष्मी जिस स्थान पर नारद जी बैठे थे, उस स्थान को गाय के गोबर से लीप दो।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबभगवान विष्णु जब यह बात कह रहे थे तब नारद जी बाहर ही खड़े थे। उन्होंने सब सुन लिया और वापस आकर भगवार विष्णु से पुछा कि भगवान जब मैं आया तो आपने मेरा खूब सम्मान किया लेकिन मेरे जाने के बाद आपने लक्ष्मी जी से मेरे बैठे हुए स्थान को गोबर से लीपने की वाली बात क्यों कही?भगवान ने कहा, हे नारद मैंने आपका सम्मान इसलिए किया क्योंकि आप देव ऋषि है। इधर, आपके जाने के बाद मैंने देवी लक्ष्मी से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आपका कोई गुरु नहीं है, आप निगुरे हैं। जिस स्थान पर कोई निगुरा बैठ जाता है वो स्थान गंदा हो जाता है।यह सुनकर नारद जी ने कहा, भगवान आपकी बात सत्य है पर में गुरु किसे बनाऊं? नारायण बोले, नारद आप धरती पर चले जाओ और जो सबसे पहला व्यक्ति मिले उसे अपना गुरु मान लेना।नारद जी ने भगवान को प्रणाम किया और चले गए। इसके बाद नारद जी जब धरती पर पहुंचे तो उन्हें सबसे पहले एक मछली पकड़ने वाला मछुवारा मिला। नारद जी वापस नारायण के पास चले गए और उन्हें सारी बात बताई। उनकी बात सुनकर भगवान ने कहा नारद जी अपना प्रण पूरा करें। चाहे वह कोई भी हो, आपको अपना गुरु उस मछुआरे को ही बनाना पड़ेगा। नारद जी दोबारा से धरती पर पहुंचे और उस मछुवारे से कहा गुरु बनने का अनुरोध किया। पहले तो मछुवारा नहीं माना, हालांकि बाद में काफी मनाने पर वह मान गया। मछुवारे को राजी करने के बाद नारद जी वापस भगवान विष्णु के पास गए और कहा कि भगवान मेरे गुरु जी को तो कुछ भी नहीं आता, वे मुझे क्या सिखाएंगे? गुरु की निंदा सुनकर विष्णु जी को क्रोध आ गया और उन्होंने नारद जी को श्राप दे दिया कि उन्हें आपको 84 लाख योनियों में घूमना पड़ेगा।यह सुनकर नारद जी ने दोनों हाथ जोड़कर कहा, हे भगवान इस श्राप से बचने का उपाय भी बता दीजिए। भगवान नारायण ने कहा कि इसका उपाय जाकर अपने गुरुदेव से पूछो। नारद जी ने सारी बात जाकर गुरुदेव को बताई और उसका उपाय जाना। नारद जी के गुरु बने उस मछुआरे ने कहा कि आप भगवान से कहना कि वे धरती पर 84 लाख योनियों की तस्वीरें बना दें और आप उसपर लेटकर गोल घूम लेना। उसके बाद जाकर भगवान विष्णु जी से कहना कि आपने उनका दिया श्राप पूरा किया अब वे आपको माफ करें। साथ ही वचन भी देना कि आगे से आप कभी भी गुरु की निंदा नहीं करोगे।नारद जी ने विष्णु जी के पास जाकर ऐसा ही किया। भगवान ने नारद जी के अनुसार 84 लाख योनियों की तस्वीर धरती पर बना दी। नारद जी उनपर घूम लिए और अपने गुरु के कहे अनुसार भगवान से क्षमा भी मांगते हुए गुरु की निंदा न करने का वचन भी दिया। यह सुनकर विष्णु जी ने कहा कि देखा जिस गुरु की आप निंदा कर रहे थे उसी ने मेरे श्राप से आपको बचाने का रास्ता सुझाया। नारदजी गुरु की महिमा अपरम्पार है।BAL Vnita mahila ashramगुरु गूंगे, गुरु बाबरे, गुरु के रहिये दासगुरु जो भेजे नरक को, स्वर्ग कि रखिये आस।।गुरु चाहे गूंगा हो, चाहे गुरु बाबरा हो (पागल हो) गुरु का हमेशा दास रहना चाहिए। गुरु यदि नरक को भेजे तब भी शिष्य को यह इच्छा रखनी चाहिए कि मुझे स्वर्ग प्राप्त होगा। माना जाता है कि यदि शिष्य को गुरु पर पूर्ण विश्वास हो तो उसका बुरा स्वयं गुरु भी नहीं कर सकते।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏भवसागर से पार होने के लिये मनुष्य शरीर रूपी सुन्दर नौका मिल गई है। सतर्क रहो कहीं ऐसा न हो कि वासना की भँवर में पड़कर नौका डूब जाय।🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼स्वयं कमाओ, स्वयं खाओ यह प्रकृति है । (रजो गुण)दूसरा कमाए, तुम छीन कर खाओ यह विकृती है।(तमो गुण )स्वयं कमाओ सबको खिलाओ, यह देविक संस्कृति हैं ! (सतो गुण )** देविक प्रवृतियों को धारण (Perception ) करे तभी आप देवलोक पाने के अधिकारी बनेंगे **,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,🚩🙏🙏🚩हमेशा ध्यान में रखिये ---" आप एक शुद्ध चेतना है यानि स्व ऊर्जा से प्रकाशित आत्मा ! माया (अज्ञान ) ने आपकी आत्मा के शुद्ध स्वरुप को छीन रखा है ! अतः माया ( अज्ञान ) से पीछा छुडाइये और शुद्ध चेतना को प्राप्त कर परमानन्द का सुख भोगिए !विशेष,,,, आपके अज्ञान को दूर कर अग्निहोत्र के इस ग्यान के प्रकाश को दे पाऊ /फेला पाऊ, यही मेरा स्वप्न है. यह आचरण मेरी निष्काम /निःस्वार्थ सोच का परिणाम है l प्रभु मेरी सहायता करे / मेरा मार्ग प्रशस्त करे.मुख्य संचालक Vnita Kasnia punjabजिस प्रकार एक छोटे से बीज़ में विशाल वट वृक्ष समाया होता है उसी प्रकार आप में अनंत क्षमताएं समायी हुईं हैं l आवश्यकता है उस ज्ञान की / अपना बौधिक एवं शैक्षणिक स्तर को उन्नत करने की जिसे प्राप्त कर आप महानता प्राप्त कर सके !🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏Note ; कृपया पोस्ट के साथ ही #BAL Vnita mahila ashram का page भी लाइक करें और इहलोक में श्रेष्ठतम पुण्यो का संचय करने के लिए अति उत्तम ज्ञान प्राप्त करे ! देवलोक अग्निहोत्र सदैव आपको नेक एवं श्रेष्ठ कर्मों को करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे ताकि अति उत्तम पुण्य कमाए और परलोक में इच्छानुसार लोक प्राप्त करे. जय माता गौ गंगा गायत्री.प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है !एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान है lपीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सेंकड़ों यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है lछान्दोग्यउपनिषद् में उद्दालक ऋषि अपने पुत्र श्वेतकेतु से आत्मा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वृक्ष जीवात्मा से ओतप्रोत होते हैं और मनुष्यों की भाँति सुख-दु:ख की अनुभूति करते हैं। हिन्दू दर्शन में एक वृक्ष की मनुष्य के दस पुत्रों से तुलना की गई है-'दशकूप समावापी: दशवापी समोहृद:।दशहृद सम:पुत्रो दशपत्र समोद्रुम:।। 'इस्लामी शिक्षा में पेड़ लगाने और वातावरण को हराभरा रखने पर जोर दिया गया है। पेड़ लगाने को सदका अथवा पुण्य का काम कहा गया है। पेड़ को पानी देना किसी मोमिन को पानी पिलाने के समान बताया गया है।इस्लाम में दान,,,,,,,दान देकर तुम्हें खुश होना चाहिये क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती है l हजरत मोहम्मदजय गौ गंगा गायत्री त्रिमाता की 🙏🏼🙏🏼
एक बार की बात है नारद जी विष्णु भगवानजी से मिलने गए। भगवान ने उनका बहुत सम्मान किया। नारद जी जब वापस गए तो विष्णुजी ने कहा, हे लक्ष्मी जिस स्थान पर नारद जी बैठे थे, उस स्थान को गाय के गोबर से लीप दो।
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
भगवान विष्णु जब यह बात कह रहे थे तब नारद जी बाहर ही खड़े थे। उन्होंने सब सुन लिया और वापस आकर भगवार विष्णु से पुछा कि भगवान जब मैं आया तो आपने मेरा खूब सम्मान किया लेकिन मेरे जाने के बाद आपने लक्ष्मी जी से मेरे बैठे हुए स्थान को गोबर से लीपने की वाली बात क्यों कही?
भगवान ने कहा, हे नारद मैंने आपका सम्मान इसलिए किया क्योंकि आप देव ऋषि है। इधर, आपके जाने के बाद मैंने देवी लक्ष्मी से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आपका कोई गुरु नहीं है, आप निगुरे हैं। जिस स्थान पर कोई निगुरा बैठ जाता है वो स्थान गंदा हो जाता है।
यह सुनकर नारद जी ने कहा, भगवान आपकी बात सत्य है पर में गुरु किसे बनाऊं? नारायण बोले, नारद आप धरती पर चले जाओ और जो सबसे पहला व्यक्ति मिले उसे अपना गुरु मान लेना।
नारद जी ने भगवान को प्रणाम किया और चले गए। इसके बाद नारद जी जब धरती पर पहुंचे तो उन्हें सबसे पहले एक मछली पकड़ने वाला मछुवारा मिला। नारद जी वापस नारायण के पास चले गए और उन्हें सारी बात बताई। उनकी बात सुनकर भगवान ने कहा नारद जी अपना प्रण पूरा करें। चाहे वह कोई भी हो, आपको अपना गुरु उस मछुआरे को ही बनाना पड़ेगा।
नारद जी दोबारा से धरती पर पहुंचे और उस मछुवारे से कहा गुरु बनने का अनुरोध किया। पहले तो मछुवारा नहीं माना, हालांकि बाद में काफी मनाने पर वह मान गया। मछुवारे को राजी करने के बाद नारद जी वापस भगवान विष्णु के पास गए और कहा कि भगवान मेरे गुरु जी को तो कुछ भी नहीं आता, वे मुझे क्या सिखाएंगे? गुरु की निंदा सुनकर विष्णु जी को क्रोध आ गया और उन्होंने नारद जी को श्राप दे दिया कि उन्हें आपको 84 लाख योनियों में घूमना पड़ेगा।
यह सुनकर नारद जी ने दोनों हाथ जोड़कर कहा, हे भगवान इस श्राप से बचने का उपाय भी बता दीजिए। भगवान नारायण ने कहा कि इसका उपाय जाकर अपने गुरुदेव से पूछो। नारद जी ने सारी बात जाकर गुरुदेव को बताई और उसका उपाय जाना। नारद जी के गुरु बने उस मछुआरे ने कहा कि आप भगवान से कहना कि वे धरती पर 84 लाख योनियों की तस्वीरें बना दें और आप उसपर लेटकर गोल घूम लेना। उसके बाद जाकर भगवान विष्णु जी से कहना कि आपने उनका दिया श्राप पूरा किया अब वे आपको माफ करें। साथ ही वचन भी देना कि आगे से आप कभी भी गुरु की निंदा नहीं करोगे।
नारद जी ने विष्णु जी के पास जाकर ऐसा ही किया। भगवान ने नारद जी के अनुसार 84 लाख योनियों की तस्वीर धरती पर बना दी। नारद जी उनपर घूम लिए और अपने गुरु के कहे अनुसार भगवान से क्षमा भी मांगते हुए गुरु की निंदा न करने का वचन भी दिया। यह सुनकर विष्णु जी ने कहा कि देखा जिस गुरु की आप निंदा कर रहे थे उसी ने मेरे श्राप से आपको बचाने का रास्ता सुझाया। नारदजी गुरु की महिमा अपरम्पार है।
गुरु गूंगे, गुरु बाबरे, गुरु के रहिये दास
गुरु जो भेजे नरक को, स्वर्ग कि रखिये आस।।
गुरु चाहे गूंगा हो, चाहे गुरु बाबरा हो (पागल हो) गुरु का हमेशा दास रहना चाहिए। गुरु यदि नरक को भेजे तब भी शिष्य को यह इच्छा रखनी चाहिए कि मुझे स्वर्ग प्राप्त होगा। माना जाता है कि यदि शिष्य को गुरु पर पूर्ण विश्वास हो तो उसका बुरा स्वयं गुरु भी नहीं कर सकते।
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भवसागर से पार होने के लिये मनुष्य शरीर रूपी सुन्दर नौका मिल गई है। सतर्क रहो कहीं ऐसा न हो कि वासना की भँवर में पड़कर नौका डूब जाय।
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स्वयं कमाओ, स्वयं खाओ यह प्रकृति है । (रजो गुण)
दूसरा कमाए, तुम छीन कर खाओ यह विकृती है।(तमो गुण )
स्वयं कमाओ सबको खिलाओ, यह देविक संस्कृति हैं ! (सतो गुण )
** देविक प्रवृतियों को धारण (Perception ) करे तभी आप देवलोक पाने के अधिकारी बनेंगे **
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हमेशा ध्यान में रखिये ---
" आप एक शुद्ध चेतना है यानि स्व ऊर्जा से प्रकाशित आत्मा ! माया (अज्ञान ) ने आपकी आत्मा के शुद्ध स्वरुप को छीन रखा है ! अतः माया ( अज्ञान ) से पीछा छुडाइये और शुद्ध चेतना को प्राप्त कर परमानन्द का सुख भोगिए !
विशेष,,,, आपके अज्ञान को दूर कर अग्निहोत्र के इस ग्यान के प्रकाश को दे पाऊ /फेला पाऊ, यही मेरा स्वप्न है. यह आचरण मेरी निष्काम /निःस्वार्थ सोच का परिणाम है l प्रभु मेरी सहायता करे / मेरा मार्ग प्रशस्त करे.
मुख्य संचालक Vnita Kasnia punjab
जिस प्रकार एक छोटे से बीज़ में विशाल वट वृक्ष समाया होता है उसी प्रकार आप में अनंत क्षमताएं समायी हुईं हैं l आवश्यकता है उस ज्ञान की / अपना बौधिक एवं शैक्षणिक स्तर को उन्नत करने की जिसे प्राप्त कर आप महानता प्राप्त कर सके !
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Note ; कृपया पोस्ट के साथ ही #BAL Vnita mahila ashram का page भी लाइक करें और इहलोक में श्रेष्ठतम पुण्यो का संचय करने के लिए अति उत्तम ज्ञान प्राप्त करे ! देवलोक अग्निहोत्र सदैव आपको नेक एवं श्रेष्ठ कर्मों को करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे ताकि अति उत्तम पुण्य कमाए और परलोक में इच्छानुसार लोक प्राप्त करे. जय माता गौ गंगा गायत्री.
प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन ईश्वर की श्रेष्ठ आराधना है !एक पेड़ लगाना, सौ गायों का दान देने के समान है lपीपल का पेड़ लगाने से व्यक्ति को सेंकड़ों यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है l
छान्दोग्यउपनिषद् में उद्दालक ऋषि अपने पुत्र श्वेतकेतु से आत्मा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि वृक्ष जीवात्मा से ओतप्रोत होते हैं और मनुष्यों की भाँति सुख-दु:ख की अनुभूति करते हैं। हिन्दू दर्शन में एक वृक्ष की मनुष्य के दस पुत्रों से तुलना की गई है-
'दशकूप समावापी: दशवापी समोहृद:।
दशहृद सम:पुत्रो दशपत्र समोद्रुम:।। '
इस्लामी शिक्षा में पेड़ लगाने और वातावरण को हराभरा रखने पर जोर दिया गया है। पेड़ लगाने को सदका अथवा पुण्य का काम कहा गया है। पेड़ को पानी देना किसी मोमिन को पानी पिलाने के समान बताया गया है।
इस्लाम में दान,,,,,,,
दान देकर तुम्हें खुश होना चाहिये क्योंकि मुसीबत दान की दीवार कभी नहीं फांदती है l हजरत मोहम्मद
जय गौ गंगा गायत्री त्रिमाता की 🙏🏼🙏🏼
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