*।।श्रीरामचरितमानस।।*
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
*प्रान प्रान के जीव के जिव*
*सुख के सुख राम ।*
*तुम्ह तजि तात सोहात गृह*
*जिन्हहि तिन्हहि बिधि बाम ।।*
*( अयोध्याकाण्ड , दोहा 290)*
*भावार्थ:-राम राम बंधुओं, राम जी को मनाने सारा अवध समाज व राजा जनक चित्रकूट पहुँचें हुए हैं । पहली बैठक उपरांत राम जी वशिष्ठ जी के पास आते हैं और कहते हैं कि आप सब बहुत दिनों से कष्ट सह रहें हैं , अब आप वह करें जिससे सबका हित हो । वशिष्ठ जी कहते हैं कि हे राम ! तुम प्राणों के प्राण , आत्मा के आत्मा व सुख के भी सुख हो । तुमको छोड़कर जिसे घर अच्छा लगे तो समझो बिधाता उसके बिपरीत है।मित्रों , राम जी सुख के आनंद सिंधु हैं , सुखनिधान है , राम जी में ही सब सुख है ।इसके अलावा यदि कोई अन्यत्र सुख ढूँढता है तो समझें कि ईश्वर उसके प्रतिकूल है अतएव राम जी का साथ करें , राम जी के साथ साथ रहें। *श्री राम जय राम जय जय राम*
#जयसियाराम💐
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