सुंदरकाण्ड वनिता कासनियां पंजाब कह कपि हदयँ धीर धरु माता। सुमेरु राम सेवक सुखदाता।। उर आनहु रघुपति प्रभुताई। सुनि मम बचन तजहु कदराई।। हनुमानजी ने कहा हे माता हृदय में धैर्य धारण करो और सेवकों को सुख देने वाले श्रीराम जी का स्मरण करो श्रीरघुनाथजी की प्रभुता को हृदय में लाओ और मेरे वचन सुनकर कायरता छोड़ दो। दोहा निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु। जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु।। राक्षसों के समूह पतंगों के समान और श्री रघुनाथजी के बाण अग्नि के समान है हे माता हृदय में धैर्य धारण करो और राक्षसों को जला ही समझो। जौं रघुवीर होती सुधि पाई। करते नहिं बिलंबु रघुराई।। राम बान रबि उएँ जानकी।तम बरुथ कहँ जातुधान की।। श्रीरामचन्द्रजी ने यदि खबर पायी होती तो वे विलम्ब न करते हे जानकी रामबाण रुपी सूर्य के उदय होने पर राक्षसों की सेना रुपी अन्धकार कहाँ रह सकता है। अबहि मातु मैं जाउँ लवाई। प्रभु आयसु नहिं राम दोहाई।। कछुक दिवस जननी धरु धीरा।कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा।। हे माता मैं आपको अभी यहाँ से लिवा जाऊँ पर श्री रामचन्द्रजी की शपथ है मुझे प्रभु (उन) की आज्ञा नहीं है (अतः) हे माता कुछ दिन और धीरज धरो श्रीरामचन्द्रजी वानरों सहित यहाँ आवेंगे।
सुंदरकाण्ड
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
कह कपि हदयँ धीर धरु माता।
सुमेरु राम सेवक सुखदाता।।
उर आनहु रघुपति प्रभुताई।
सुनि मम बचन तजहु कदराई।।
हनुमानजी ने कहा हे माता हृदय में धैर्य धारण करो और सेवकों को सुख देने वाले श्रीराम जी का स्मरण करो श्रीरघुनाथजी की प्रभुता को हृदय में लाओ और मेरे वचन सुनकर कायरता छोड़ दो।
दोहा
निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु।
जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु।।
राक्षसों के समूह पतंगों के समान और श्री रघुनाथजी के बाण अग्नि के समान है हे माता हृदय में धैर्य धारण करो और राक्षसों को जला ही समझो।
जौं रघुवीर होती सुधि पाई।
करते नहिं बिलंबु रघुराई।।
राम बान रबि उएँ जानकी।
तम बरुथ कहँ जातुधान की।।
श्रीरामचन्द्रजी ने यदि खबर पायी होती तो वे विलम्ब न करते हे जानकी रामबाण रुपी सूर्य के उदय होने पर राक्षसों की सेना रुपी अन्धकार कहाँ रह सकता है।
अबहि मातु मैं जाउँ लवाई।
प्रभु आयसु नहिं राम दोहाई।।
कछुक दिवस जननी धरु धीरा।
कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा।।
हे माता मैं आपको अभी यहाँ से लिवा जाऊँ पर श्री रामचन्द्रजी की शपथ है मुझे प्रभु (उन) की आज्ञा नहीं है (अतः) हे माता कुछ दिन और धीरज धरो श्रीरामचन्द्रजी वानरों सहित यहाँ आवेंगे।
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