श्री हरि जय सिया राम , by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब शुक्र = ★★★★★★★ आज शुक्र की अन्य ग्रहों के साथ युति की पोस्ट लिखते है तो सबसे पहले बात करते है सूर्य + शुक्र की युति कुंडली मे हो तो इस युति को हम।अच्छा फल देने वाली नही बोल सकते , क्योंकि सूर्य तो एक अग्नि का गोला है और शुक्र जलीय ग्रह है तो अग्नि + जल की युति तो वैसे ही नही होती दोनों शत्रु है तो इस युति होने पर जातक के शुक्र की हानि होती है शुक्र मतलब वीर्य की।हानि गलत आदतों के कारण , स्त्री सुख की कमी , शारीरिक कमजोरी और शुक्र भोग विलास लग्जरी सुखों का कारक है उन सब की हानि होती है इन दोनों की युति से ,चन्द्रमा + शुक्र = इन दोनों ग्रह ही स्त्री ग्रह है तो जातक को स्त्री सुख अच्छा रहता है स्त्रियों में प्रिय होता है लग्न आदि में यह युति हो जातक थोड़ा मोटा भी हो सकता है वैसे यह युति अच्छी होती है जातक को सुंदर भी बनाती है यह युति शुभ फल दायक होती है और शुक्र के सम्बदी चीजो का अच्छा फल देती है मंगल + शुक्र की युति हो तो शुक्र हमारे वीर्य का कारक है ही और मंगल अग्नि है मंगल युवा है तो यह युति जातक को बहुत अधिक कामुक बनाती है ऐसे जातक के एक से अधिक स्त्रियों से सम्बद होते है ऐसा जातक विस्वाश पात्र भी नही होता है और केतु की साथ युति भी ऐसा फल देती है जैसा कि मंगल के साथ हो ,बुध और शुक्र = बुध जो की विष्णु स्वरूप है और शुक्र तो है ही लक्ष्मी तो इन दोनों की युति जातक को लक्ष्मी योग बनाती है जातक के पास हर तरह के सुख होंगे लक्ष्मी भी जातक के पास होती है जातक को सत्यवादी भी बनाती है देखने मे सुंदर होता है पर यह व्यभिचार की और भी ले जाती है यह युति , गुरु + शुक्र की युति हो तो यह ज्यादा शुभ नही है वैसे तो दोनों ही ग्रह ज्ञान के कारक है इसकी युति वाले जातकों का व्यवसाय शिक्षा के सम्बदी अधिक होता है पर इस जो ग्रह बलबान हो वो दूसरे की भाव सम्बदी चीजो की हानि ही करता है इनकी युति जिस भाव को देखती उस भाव के सम्बदी अच्छा ही फल प्राप्त होता है शनि + शुक्र = शनि वैसे तो शुक्र का मित्र ग्रह है पर शनि एक नीच और मलीन ग्रह है तो यह शुक्र के चीजो की हानि ही करता है जैसे कि स्त्री की प्राप्ति होती है तो अपने से बड़ी उम्र की , स्त्री सुख भी सामान्य रहता है , रोग का कारक है शनि तो स्त्री को भी हेल्थ सम्बदी दिक्कत होती है भोग विलास धन आदि में यह युति हो तो बहुत देरी से प्राप्त होते है तो कोई चीज जब देरी से मिले तो वो ज्यादा शुभ भी नही होती ऐसा ही आप राहु के साथ युति हो तो समझ सकते है बल्कि शनि से थोड़ा बुरा ही फल राहु के साथ युति हो तब मिलता है राम राम बाल वनिता महिला आश्रम,,
श्री हरि जय सिया राम ,
by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
शुक्र =
★★★★★★★
आज शुक्र की अन्य ग्रहों के साथ युति की पोस्ट लिखते है तो सबसे पहले बात करते है
सूर्य + शुक्र की युति कुंडली मे हो तो इस युति को हम।अच्छा फल देने वाली नही बोल सकते , क्योंकि सूर्य तो एक अग्नि का गोला है और शुक्र जलीय ग्रह है तो अग्नि + जल की युति तो वैसे ही नही होती दोनों शत्रु है तो इस युति होने पर जातक के शुक्र की हानि होती है शुक्र मतलब वीर्य की।हानि गलत आदतों के कारण , स्त्री सुख की कमी , शारीरिक कमजोरी और शुक्र भोग विलास लग्जरी सुखों का कारक है उन सब की हानि होती है इन दोनों की युति से ,
चन्द्रमा + शुक्र = इन दोनों ग्रह ही स्त्री ग्रह है तो जातक को स्त्री सुख अच्छा रहता है स्त्रियों में प्रिय होता है लग्न आदि में यह युति हो जातक थोड़ा मोटा भी हो सकता है वैसे यह युति अच्छी होती है जातक को सुंदर भी बनाती है यह युति शुभ फल दायक होती है और शुक्र के सम्बदी चीजो का अच्छा फल देती है
मंगल + शुक्र की युति हो तो शुक्र हमारे वीर्य का कारक है ही और मंगल अग्नि है मंगल युवा है तो यह युति जातक को बहुत अधिक कामुक बनाती है ऐसे जातक के एक से अधिक स्त्रियों से सम्बद होते है ऐसा जातक विस्वाश पात्र भी नही होता है और केतु की साथ युति भी ऐसा फल देती है जैसा कि मंगल के साथ हो ,
बुध और शुक्र = बुध जो की विष्णु स्वरूप है और शुक्र तो है ही लक्ष्मी तो इन दोनों की युति जातक को लक्ष्मी योग बनाती है जातक के पास हर तरह के सुख होंगे लक्ष्मी भी जातक के पास होती है जातक को सत्यवादी भी बनाती है देखने मे सुंदर होता है पर यह व्यभिचार की और भी ले जाती है यह युति ,
गुरु + शुक्र की युति हो तो यह ज्यादा शुभ नही है वैसे तो दोनों ही ग्रह ज्ञान के कारक है इसकी युति वाले जातकों का व्यवसाय शिक्षा के सम्बदी अधिक होता है पर इस जो ग्रह बलबान हो वो दूसरे की भाव सम्बदी चीजो की हानि ही करता है इनकी युति जिस भाव को देखती उस भाव के सम्बदी अच्छा ही फल प्राप्त होता है
शनि + शुक्र = शनि वैसे तो शुक्र का मित्र ग्रह है पर शनि एक नीच और मलीन ग्रह है तो यह शुक्र के चीजो की हानि ही करता है जैसे कि स्त्री की प्राप्ति होती है तो अपने से बड़ी उम्र की , स्त्री सुख भी सामान्य रहता है , रोग का कारक है शनि तो स्त्री को भी हेल्थ सम्बदी दिक्कत होती है भोग विलास धन आदि में यह युति हो तो बहुत देरी से प्राप्त होते है तो कोई चीज जब देरी से मिले तो वो ज्यादा शुभ भी नही होती ऐसा ही आप राहु के साथ युति हो तो समझ सकते है बल्कि शनि से थोड़ा बुरा ही फल राहु के साथ युति हो तब मिलता है राम राम
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Gender FEMALE
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Introduction समाज सेवा से बड़ा पुण्य कार्य कोई नहीं। समाज सेवा अगर नि:स्वार्थ भाव से की जाए तो मानवता का कर्तव्य सही मायनों में निभाया जा सकता है। यह बात रविवार को सिद्धेश्वर मंदिर परिसर में श्री बांकेबिहारी गिर्राज भंडारा सेवा समिति की द्वारा आयोजित बैठक में समिति संयोजक सुधीर पोरवाल(बाबा) ने कही। उन्होंने कहा कि हम मानव हैं और मानव होने के नाते हमारा पहला धर्म मानवता का परिचय देना है। लेकिन आज समाज जिस दिशा पर जा रहा है। उसको देखकर ऐसा अहसास होता है कि इंसान में इंसानियत का और आत्मियता का अभाव होता जा रहा है। लेकिन समाज के कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाजसेवा के माध्यम से मानवता का परिचय देते रहते हैं। साथ ही समाज के लोगों को मानवता का पाठ भी पढ़ाते हैं। इस क्रम में वनिता कासनियां प्रदेशाध्यक्ष पंजाब कहा कि जीवन में समाजसेवा से बड़ा कोई कार्य नहीं है। समाज के प्रत्येक नागरिक को अपने सामाजिक एवं पारिवारिक दायित्वों के साथ-साथ समाजसेवा के लिए भी समय अवश्य निकालना चाहिए। गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा एवं उनके उत्थान के लिए आकांक्षा समिति हमेशा प्रयासरत रहती है।
Interests देश भक्ति में
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