क्यू|| श्री हरि: ||--- :: x :: ---🥀🥀🙏सत्संग की आवश्यकता 🙏🥀🥀By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब!! अपने अन्त:करण में कोई गड़बड़ी आ जाय तो भगवान् को पुकारो, हे नाथ ! हे नाथ !! पुकारो | यह एक दवाई है असली भगवान् को याद करो, खूब मस्त रहो | अपने कल्याण के लिये, पति के कल्याण के लिये, माता-पिता के कल्याण के लिये भगवान् के भजन में लग जाओ | पुरुष यदि श्रेष्ठ, उतम होता है तो वह अपने ही कुल का उध्दार करता है; परन्तु स्त्री श्रेष्ठ होती है तो वह दोनों कुलों का उध्दार कर देती है – एवा उतम गुण थी उभय सुकुल उजवालिये हे | सखियाँ निज-निज निति धर्म सदा सम्भालिये हे ||महाराज जनक चित्रकूट गये | वहाँ सीताजी सादे वेश में थीं | कितने प्रेम से पली थी सीताजी ! माता-पिता का उन पर बड़ा स्नेह था | जनकपुरी के कई राजकीय आदमी जनक जी के साथ में आये थे | उन्होंने सीताजी को साधारण वेश में देखा तो रो पड़े कि हमारे महाराज की पुत्री जंगल में रहकर दुःख पा रही है | रहने को जगह नहीं, खाने को अन्न नहीं, पहनने को पूरा बढ़िया कपड़ा नहीं ! परन्तु महाराज जनक बड़े राजी हुए और बोले कि बेटी ! तूने दोनों कुलों को पवित्र कर दिया – ‘पुत्रि पबित्र किए कुल दोऊ’ (मानस. २/२८७/१) | स्त्रियाँ श्रेष्ठ होती हैं तो दोनों कुलों का उध्दार करती हैं और खराब होती हैं तो दोनों कुलों का नाश करती हैं | इसलिये बहनों ! धर्म की, कुल की मर्यादा में चलो | बालकों पर, कुटुम्बियों पर आपके आचरणों का असर पड़ता है | समुद्र के बीच में यह पृथ्वी किस बल पर धारण की हुई है ? – गोभिर्विप्रैश्च वेदैश्च सतिभि: सत्यवादिभि: | अलुब्धैर्दानशीलैश्च सप्तभिर्धार्यते मही || (स्कन्दपुराण, वनिता पंजाब२/७१)‘गायें, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी, लोभरहित और दानशील सन्त-महापुरुष – इन सातों के द्वारा यह पृथ्वी धारण की जाती है अर्थात इन पर पृथ्वी टिकी हुई है |’ अत सती स्त्रियों से पृथ्वी की, दुनिया की रक्षा होती है – ‘एक सती और जगत सारा, एक चन्द्रमा नौ लख तारा |’ इतना बल आपमें है | 🚩🚩🙏🙏🙏जय श्री राम 🙏🙏🙏🚩🚩
क्यू|| श्री हरि: ||
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🥀🥀🙏सत्संग की आवश्यकता 🙏🥀🥀
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब!!
अपने अन्त:करण में कोई गड़बड़ी आ जाय तो भगवान् को पुकारो, हे नाथ ! हे नाथ !! पुकारो | यह एक दवाई है असली भगवान् को याद करो, खूब मस्त रहो | अपने कल्याण के लिये, पति के कल्याण के लिये, माता-पिता के कल्याण के लिये भगवान् के भजन में लग जाओ | पुरुष यदि श्रेष्ठ, उतम होता है तो वह अपने ही कुल का उध्दार करता है; परन्तु स्त्री श्रेष्ठ होती है तो वह दोनों कुलों का उध्दार कर देती है –
एवा उतम गुण थी उभय सुकुल उजवालिये हे |
सखियाँ निज-निज निति धर्म सदा सम्भालिये हे ||
महाराज जनक चित्रकूट गये | वहाँ सीताजी सादे वेश में थीं | कितने प्रेम से पली थी सीताजी ! माता-पिता का उन पर बड़ा स्नेह था | जनकपुरी के कई राजकीय आदमी जनक जी के साथ में आये थे | उन्होंने सीताजी को साधारण वेश में देखा तो रो पड़े कि हमारे महाराज की पुत्री जंगल में रहकर दुःख पा रही है | रहने को जगह नहीं, खाने को अन्न नहीं, पहनने को पूरा बढ़िया कपड़ा नहीं ! परन्तु महाराज जनक बड़े राजी हुए और बोले कि बेटी ! तूने दोनों कुलों को पवित्र कर दिया – ‘पुत्रि पबित्र किए कुल दोऊ’ (मानस. २/२८७/१) | स्त्रियाँ श्रेष्ठ होती हैं तो दोनों कुलों का उध्दार करती हैं और खराब होती हैं तो दोनों कुलों का नाश करती हैं | इसलिये बहनों ! धर्म की, कुल की मर्यादा में चलो | बालकों पर, कुटुम्बियों पर आपके आचरणों का असर पड़ता है | समुद्र के बीच में यह पृथ्वी किस बल पर धारण की हुई है ? –
गोभिर्विप्रैश्च वेदैश्च सतिभि: सत्यवादिभि: |
अलुब्धैर्दानशीलैश्च सप्तभिर्धार्यते मही ||
(स्कन्दपुराण, वनिता पंजाब२/७१)
‘गायें, ब्राह्मण, वेद, सती स्त्री, सत्यवादी, लोभरहित और दानशील सन्त-महापुरुष – इन सातों के द्वारा यह पृथ्वी धारण की जाती है अर्थात इन पर पृथ्वी टिकी हुई है |’ अत सती स्त्रियों से पृथ्वी की, दुनिया की रक्षा होती है – ‘एक सती और जगत सारा, एक चन्द्रमा नौ लख तारा |’ इतना बल आपमें है |
🚩🚩🙏🙏🙏जय श्री राम 🙏🙏🙏🚩🚩
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