***ego***By philanthropist Vanitha Kasniya Punjab-------------Once a man went to someone's house. He came empty handed so he thought that some gift should be given. Thinking so, a painting was put in the guest room itself.
***अहंकार***
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
-------------
एक बार एक व्यक्ति किसी के घर गया। वह खाली हाथ आया था तो उसने सोचा कि कुछ उपहार देना चाहिए। ऐसा सोचकर मेहमान कक्ष में ही लगी एक पेंटिंग उतार ली और जब घर का मालिक आया तो उसे यह कह कर पेंटिंग दी कि "यह उपहार मैं आपके लिए लाया हूँ"
घर का मालिक तो यह जानता था कि यह पेंटिंग उसी की है जिसे वह व्यक्ति भेंट दे रहा है।
अब आप ही बताइये कि क्या वह ऐसी भेंट पाकर खुश होगा जो पहले से ही उसी की है।
परन्तु मित्रों यही तो हम भगवान के साथ करते हैं। हम उन्हें रुपया-पैसा विभिन्न प्रकार की वस्तुएं चढ़ाते हैं और हर वह वस्तु जो उन्होंने ही बनाई है उन्हें ही भेंट करते हैं और मन में भाव रखते हैं कि जो चीजें हम भगवान् को चढ़ा रहे हैं उनसे खुश होकर ईश्वर हम पर कृपा करेंगे। क्या यह हमारी मूर्खता नही?
उन्हें सच में अगर कुछ देना ही चाहते हैं तो कोई वस्तु नहीं , अपनी श्रद्धा और अपना अहंकार दें जो कि हमारा स्वयं का है जिसे भगवान ने नहीं दिया है। अगर हम अपने अहंकार को ईश चरणों में समर्पित करेंगे तो प्रभु अवश्य प्रसन्न होंगे।****
टिप्पणियाँ