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रोचक कथा :क्यु माता पार्वती ने दिया महादेव सहित भगवान श्री हरी विष्णू, कर्तिकेय, नारद मुनी और रावण को श्राप. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब शिव पुराण की कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ द्युत (चौसर) खेलने की अभिलाषा प्रकट की.खेल में भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए. हारने के बाद भोलेनाथ अपनी लीला रचते हुए पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए. कार्तिकेय जी को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से भोलेनाथ की समस्त वस्तुएं वापस लेने के उद्देश्य से खेलने आए. इस बार खेल में पार्वती जी हार गईं तथा कार्तिकेय शंकर जी का सारा सामान लेकर वापस चले गए.अब इधर पार्वती भी चिंतित हो गईं कि सारा सामान भी गया तथा पति भी दूर हो गए. माता पार्वती जी ने अपनी व्यथा अपने प्रिय पुत्र गणेश को बताई तो मातृ भक्त गणेश जी स्वयं खेल खेलने शंकर भगवान के पास पहुंचे. गणेश जी जीत गए तथा लौटकर अपनी जीत का समाचार माता को सुनाया.इस पर पार्वती बोलीं कि उन्हें अपने पिता को साथ लेकर आना चाहिए था. गणेश जी फिर भोलेनाथ की खोज करने निकल पड़े. भोलेनाथ से उनकी भेंट हरिद्वार में हुई.उस समय भोले नाथ भगवान विष्णु व कार्तिकेय के साथ भ्रमण कर रहे थे. पार्वती से नाराज भोलेनाथ ने लौटने से मना कर दिया. इधर भोलेनाथ के भक्त रावण ने शिव जी की तरफ से गणेश जी के वाहन मूषक को बिल्ली का रूप धारण करके डरा दिया. मूषक गणेश जी को छोड़कर भाग गए. उधर भगवान विष्णु ने भोलेनाथ की इच्छा से पासा का रूप धारण कर लिया था.गणेश जी ने माता के उदास होने की बात भोलेनाथ को कह सुनाई. इस पर भोलेनाथ बोले,कि हमने नया पासा बनवाया है, अगर तुम्हारी माता पुन: खेल खेलने को सहमत हों, तो मैं वापस चल सकता हूं. गणेश जी के आश्वासन पर भोलेनाथ वापस पार्वती के पास पहुंचे तथा खेल खेलने को कहा.इस पर पार्वती हंस पड़ी और व बोलीं,अभी आपके पास क्या चीज है, जिससे खेल खेला जाए. यह सुनकर भोलेनाथ चुप हो गए.इस पर नारद जी ने अपनी वीणा आदि सामग्री उन्हें दी. इस खेल में भोलेनाथ हर बार जीतने लगे. एक दो पासे फेंकने के बाद गणेश जी समझ गए तथा उन्होंने भगवान विष्णु के पासा रूप धारण करने का रहस्य माता पार्वती को बता दिया. सारी बात सुनकर पार्वती जी को क्रोध आ गया. रावण ने माता पार्वती को समझाने का प्रयास किया, पर उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तथा क्रोधवश उन्होंने भोलेनाथ को श्राप दे दिया कि गंगा की धारा का बोझ उनके सिर पर रहेगा. नारद जी को कभी एक स्थान पर न टिकने का अभिशाप मिला. भगवान विष्णु को श्राप दिया कि यही रावण तुम्हारा शत्रु होगा तथा रावण को श्राप दिया कि विष्णु ही तुम्हारा विनाश करेंगे. कार्तिकेय को भी माता पार्वती ने हमेशा बाल रूप में रहने का श्राप दे दिया. बाल वनिता महिला आश्रम 🚩✊जय हिंदुत्व✊🚩☀!! श्री हरि: शरणम् !! ☀🍃🎋🍃🎋🕉️🎋🍃🎋🍃🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾

रोचक कथा :क्यु माता पार्वती ने दिया महादेव सहित भगवान श्री हरी विष्णू, कर्तिकेय, नारद मुनी और रावण को श्राप.

         शिव पुराण की  कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ द्युत (चौसर) खेलने की अभिलाषा प्रकट की.खेल में भगवान शंकर अपना सब कुछ हार गए. हारने के बाद भोलेनाथ अपनी लीला रचते हुए पत्तों के वस्त्र पहनकर गंगा के तट पर चले गए. कार्तिकेय जी को जब सारी बात पता चली, तो वह माता पार्वती से भोलेनाथ की समस्त वस्तुएं वापस लेने के उद्देश्य से खेलने आए.
          इस बार खेल में पार्वती जी हार गईं तथा कार्तिकेय शंकर जी का सारा सामान लेकर वापस चले गए.अब इधर पार्वती भी चिंतित हो गईं कि सारा सामान भी गया तथा पति भी दूर हो गए. माता पार्वती जी ने अपनी व्यथा अपने प्रिय पुत्र गणेश को बताई तो मातृ भक्त गणेश जी स्वयं खेल खेलने शंकर भगवान के पास पहुंचे.
         गणेश जी जीत गए तथा लौटकर अपनी जीत का समाचार माता को सुनाया.इस पर पार्वती बोलीं कि उन्हें अपने पिता को साथ लेकर आना चाहिए था. गणेश जी फिर भोलेनाथ की खोज करने निकल पड़े. भोलेनाथ से उनकी भेंट हरिद्वार में हुई.उस समय भोले नाथ भगवान विष्णु व कार्तिकेय के साथ भ्रमण कर रहे थे.
          पार्वती से नाराज भोलेनाथ ने लौटने से मना कर दिया. इधर भोलेनाथ के भक्त रावण ने शिव जी की तरफ से गणेश जी के वाहन मूषक को बिल्ली का रूप धारण करके डरा दिया. मूषक गणेश जी को छोड़कर भाग गए. उधर भगवान विष्णु ने भोलेनाथ की इच्छा से पासा का रूप धारण कर लिया था.गणेश जी ने माता के उदास होने की बात भोलेनाथ को कह सुनाई.
         इस पर भोलेनाथ बोले,कि हमने नया पासा बनवाया है, अगर तुम्हारी माता पुन: खेल खेलने को सहमत हों, तो मैं वापस चल सकता हूं. गणेश जी के आश्वासन पर भोलेनाथ वापस पार्वती के पास पहुंचे तथा खेल खेलने को कहा.इस पर पार्वती हंस पड़ी और व बोलीं,अभी आपके पास क्या चीज है, जिससे खेल खेला जाए.
         यह सुनकर भोलेनाथ चुप हो गए.इस पर नारद जी ने अपनी वीणा आदि सामग्री उन्हें दी. इस खेल में भोलेनाथ हर बार जीतने लगे. एक दो पासे फेंकने के बाद गणेश जी समझ गए तथा उन्होंने भगवान विष्णु के पासा रूप धारण करने का रहस्य माता पार्वती को बता दिया. सारी बात सुनकर पार्वती जी को क्रोध आ गया.
         रावण ने माता पार्वती को समझाने का प्रयास किया, पर उनका क्रोध शांत नहीं हुआ तथा क्रोधवश उन्होंने भोलेनाथ को श्राप दे दिया कि गंगा की धारा का बोझ उनके सिर पर रहेगा. नारद जी को कभी एक स्थान पर न टिकने का अभिशाप मिला. भगवान विष्णु को श्राप दिया कि यही रावण तुम्हारा शत्रु होगा तथा रावण को श्राप दिया कि विष्णु ही तुम्हारा विनाश करेंगे. कार्तिकेय को भी माता पार्वती ने हमेशा बाल रूप में रहने का श्राप दे दिया.     
  🚩✊जय हिंदुत्व✊🚩
☀!! श्री हरि: शरणम् !! ☀
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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

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