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भगवान के कार्य मे हाथ बँटायेंBy समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब************************गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ—ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।गिद्ध-गिलहरी बन सकते हैं?***********************साथियो! मैं जानती हूँ कि आपके पास ताकत बहुत कम है और आप कह सकते हैं कि हमारे पास इतनी सामर्थ्य नहीं है कि हम इतना बड़ा काम कर सकें। आपको मैं याद दिलाना चाहती हूँ कि गिलहरी, जिसके पास कोई ताकत नहीं थी और जिसके पास पंजे भी नहीं थे, वह अपने बालों में धूल भरकर डालती थी। आप गिलहरी से तो कमजोर नहीं हैं। नहीं साहब! गिलहरी से तो कमजोर नहीं हैं। तो भाईसाहब! आप भी कुछ कर सकते हैं। और गिद्ध? गिद्ध तो बूढ़ा था। उसे आँख से दिखाई भी नहीं पड़ता था कि लड़ाई में पड़े। लेकिन बुड्ढा, जिसको आँखों से भी नहीं दिखाई पड़ता था और वह आदमी भी नहीं था, पक्षी था। आप तो पक्षी नहीं हैं? नहीं साहब! आदमी हैं। आप बातचीत तो कर सकते हैं? हाँ साहब! कर सकते हैं। आपके दो हाथ और दो पैर हैं, पर उस गिद्ध के तो दो ही थे। बेटे! जब बूढ़ा गिद्ध युद्ध के लिए खड़ा हो सकता है तो आप क्यों नहीं! जब ग्वाल-बाल पहाड़ उठाने के लिए अपनी सहायता देने के लिए अपनी लाठी और डंडे ले करके खड़े हो सकते थे। क्रेन उनके पास नहीं थी और न कोई ऐसी दूसरी चीज थी, जिससे कि पहाड़ उठाया जा सके। कोई संबल भी नहीं थे, कोई कुछ नहीं था। वही जानवर हाँकने की लाठियों थीं, उन्हें ले करके खड़े हो गए थे।तो क्या पहाड़ उठ गया था? हाँ उठ गया था। क्यों? क्योंकि ऊँचे उद्देश्य के लिए भावभरे प्राणवान व्यक्ति प्राण-भरी साँस लेकर जब खड़े हो जाते हैं तो उनको भगवान की सहायता मिलती है। हमको मिलेगी? नहीं, आपको नहीं मिलेगी। क्यों? क्योंकि आप हैं चोर, आप हैं चालाक। चोर और चालाकों के लिए भगवान की सहायता सुरक्षित नहीं है। हमको मकान बनवा दीजिए हमको पैसा दे दीजिए हमारी औरत को जेवर बनवा दीजिए। चल, धूर्त कहीं का-भगवान की सहायता इन्हीं कामों के लिए रह गई है! नहीं साहब! देवी को सहायता करनी चाहिए थी। कौन है तू?? देवी का जँवाई है? चांडाल कहीं का-देवी को हमारी सहायता करनी चाहिए थी। किस बात की देवी सहायता करें? नहीं साहब! हमारी मनोकामना पूरी करें। क्यों पूरी करनी चाहिए? हमने तीन माला जप किया है। ले जा अपनी माला। माला लिए फिरता है। देवी को माला पहना देंगे, नारियल खिला देंगे। देवी को धूपबत्ती दिखा देंगे, खाना खिला देंगे और मनोकामना पूरी करा लेंगे। महाराज जी! अब तो आप देवी की निंदा कर रहे हैं। नहीं बेटे! देवी की निंदा नहीं कर रहा हूँ वरन तेरे ईमान की निंदा कर रहा हूँ। तू जिस ईमान को ले करके चला है, जिस उद्देश्य को ले करके चला है, मैं उस उद्देश्य की निंदा कर रहा हूँ। उसकी ओर से देवी को नफरत है और देवी तेरी ओर मुँह उठा करके भी नहीं देखेगी।बाल वनिता महिला आश्रम

भगवान के कार्य मे हाथ बँटायें
By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब
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गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ—

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

गिद्ध-गिलहरी बन सकते हैं?
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साथियो! मैं जानती हूँ कि आपके पास ताकत बहुत कम है और आप कह सकते हैं कि हमारे पास इतनी सामर्थ्य नहीं है कि हम इतना बड़ा काम कर सकें। आपको मैं याद दिलाना चाहती हूँ कि गिलहरी, जिसके पास कोई ताकत नहीं थी और जिसके पास पंजे भी नहीं थे, वह अपने बालों में धूल भरकर डालती थी। आप गिलहरी से तो कमजोर नहीं हैं। नहीं साहब! गिलहरी से तो कमजोर नहीं हैं। तो भाईसाहब! आप भी कुछ कर सकते हैं। और गिद्ध? गिद्ध तो बूढ़ा था। उसे आँख से दिखाई भी नहीं पड़ता था कि लड़ाई में पड़े। लेकिन बुड्ढा, जिसको आँखों से भी नहीं दिखाई पड़ता था और वह आदमी भी नहीं था, पक्षी था। आप तो पक्षी नहीं हैं? नहीं साहब! आदमी हैं। आप बातचीत तो कर सकते हैं? हाँ साहब! कर सकते हैं। आपके दो हाथ और दो पैर हैं, पर उस गिद्ध के तो दो ही थे। बेटे! जब बूढ़ा गिद्ध युद्ध के लिए खड़ा हो सकता है तो आप क्यों नहीं! जब ग्वाल-बाल पहाड़ उठाने के लिए अपनी सहायता देने के लिए अपनी लाठी और डंडे ले करके खड़े हो सकते थे। क्रेन उनके पास नहीं थी और न कोई ऐसी दूसरी चीज थी, जिससे कि पहाड़ उठाया जा सके। कोई संबल भी नहीं थे, कोई कुछ नहीं था। वही जानवर हाँकने की लाठियों थीं, उन्हें ले करके खड़े हो गए थे।

तो क्या पहाड़ उठ गया था? हाँ उठ गया था। क्यों? क्योंकि ऊँचे उद्देश्य के लिए भावभरे प्राणवान व्यक्ति प्राण-भरी साँस लेकर जब खड़े हो जाते हैं तो उनको भगवान की सहायता मिलती है। हमको मिलेगी? नहीं, आपको नहीं मिलेगी। क्यों? क्योंकि आप हैं चोर, आप हैं चालाक। चोर और चालाकों के लिए भगवान की सहायता सुरक्षित नहीं है। हमको मकान बनवा दीजिए हमको पैसा दे दीजिए हमारी औरत को जेवर बनवा दीजिए। चल, धूर्त कहीं का-भगवान की सहायता इन्हीं कामों के लिए रह गई है! नहीं साहब! देवी को सहायता करनी चाहिए थी। कौन है तू?? देवी का जँवाई है? चांडाल कहीं का-देवी को हमारी सहायता करनी चाहिए थी। किस बात की देवी सहायता करें? नहीं साहब! हमारी मनोकामना पूरी करें। क्यों पूरी करनी चाहिए? हमने तीन माला जप किया है। ले जा अपनी माला। माला लिए फिरता है। देवी को माला पहना देंगे, नारियल खिला देंगे। देवी को धूपबत्ती दिखा देंगे, खाना खिला देंगे और मनोकामना पूरी करा लेंगे। महाराज जी! अब तो आप देवी की निंदा कर रहे हैं। नहीं बेटे! देवी की निंदा नहीं कर रहा हूँ वरन तेरे ईमान की निंदा कर रहा हूँ। तू जिस ईमान को ले करके चला है, जिस उद्देश्य को ले करके चला है, मैं उस उद्देश्य की निंदा कर रहा हूँ। उसकी ओर से देवी को नफरत है और देवी तेरी ओर मुँह उठा करके भी नहीं देखेगी।

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...