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मान्यता है कि दशहरे के दिन ही प्रभु श्रीराम ने रावण का संहार किया था, इसलिए इस दिन को विजयदशमी भी कहा जाता है।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍*बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया की टीम की तरफ से सभी को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं*📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍: बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है दशहरा शारदीय नवरात्रि के नौ दिन समाप्त होने के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। दशहरा का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भक्त मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को दशहरा मनाया जाता है। मान्यता है कि दशहरे के दिन ही प्रभु श्रीराम ने रावण का संहार किया था, इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। इस साल 15 अक्टूबर को यह त्योहार मनाया जाएगा।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍दशहरे के दिन जगह-जगह पर मेले का आयोजन होता है, साथ ही रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले फूंके जाते हैं। असत्य पर सत्य की जीत के इस प्रतीक के दिन लोग अपने मित्रों, परिजनों और रिश्तेदारों को संदेश भेजकर शुभकामनाएं देते हैं। आप भी इन संदेशों के जरिए अपने परिजनों को विश कर सकते हैं-📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍1- बुराई का होता है विनाश,दशहरा लाता है उम्मीद की आस।रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍2- संकटों का तम घनेरा,हो न आकुल मन ये तेरा।संकटों के तम छटेंगे होगा फिर सुंदर सवेरा,मुबारक हो आपको दशहरा।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍3- रावण की तरहमन के विकारों का नाश हो,प्रभु श्रीराम का हृदय मेंसर्वदा वास हो।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍4- ज्योत से ज्योत जगाते चलोप्रेम की गंगा बहाते चलोराह में आए जो दीन दुखीसबको गले लगाते चलोदिन आएगा सबका सुनहरामेरी तरफ से शुभ दशहरा📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍5- कभी भी आप पर पड़े न दुख का साया,प्रभु राम की कृपा का ऐसा असर रहे छाया,हरदम धन धान्य रहे आप अंगना,इस विजयादशमी यही है हमारी मनोकामना।शुभ विजयादशमी📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍फूलों की खुशबू अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको विजयादशमी का त्योहार…चांद की चांदनी शरद की बहार,फूलों की खुशबू अपनों का प्यार,मुबारक हो आपको विजयादशमी का त्योहार,सदा खुश रहे आप और आपका परिवार📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍दे बेशुमार खुशियां यह दशहरा आपको, हर प्यारी खुशी आपकी दीवानी हो जाए!आज की नई सुबह बेहद सुहानी हो जाए,दुखों की सारी कड़वाहट पुरानी हो जाए,दे बेशुमार खुशियां यह दशहरा आपको,हर प्यारी खुशी आपकी दीवानी हो जाए!📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍खुशी आप के कदम चूमे, कभी ना हो दुखों का सामना…खुशी आप के कदम चूमे,कभी ना हो दुखों का सामना…धन ही धन आए आपके आंगन में,दशहरा के शुभ अवसर पर हमारी है यही मनोकामना,विजयदशमी की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍हैप्पी दशहरा 2021आपके जीवन में कभी-भी कोई गम ना आएआपको दशहरा की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं,हैप्पी दशहरा 2021📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍अत्याचार मिटाने के लिए अब हर घर से एक राम निकलेगाअन्याय के रूप में अब नेताओं का भ्रष्टाचार हैरावण के रूप में नेताओं का अत्याचार हैभ्रष्टाचार और अत्याचार मिटाने के लिए शंख बजेगाअब हर घर से एक राम निकलेगामंगलमय हो दशहरा।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍दशहरा के पावन पर्व की शुभकामनाएं!दशहरा एक उम्मीद जगाता है,बुराई के अंत की याद दिलाता है,जो चलता है सत्य की राह परवो विजय का प्रतीक बन जाता हैंदशहरा के पावन पर्व की शुभकामनाएं!📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएंसत्य स्थापित करके, इस देश से बुराई को मिटाना होगा,आतंकी रावण का दहन करने आज फिर राम को आना होगा,आपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍अधर्म पर धर्म की जीत का त्‍योहार है दशहराअधर्म पर धर्म की जीत,अन्याय पर न्याय की विजय,असत्य पर सत्य की जीत,बुराई पर अच्छाई की जय जयकार,यही है दशहरा का त्योहार।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍आपको दशहरा की कोटि-कोटि बधाईइस दशहरा प्रण लेना होगा,रावण नहीं राम बनकर रहना होगा,बुराई के खिलाफ आवाज उठाना होगा,हर बच्ची को आज दुर्गा बनाना होगा।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍दशहरा की शुभकामना व बधाई संदेशबुराई का होता है विनाश,दशहरा लाता है उम्मीद की आस,रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,सफलता और तरक्की के साथ यह दशहरा हो खास।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍विजय दशमी की यूं दें बधाइयांभीतर के रावण को जो आग खुद लगाएंगेसही मायने में वे ही दशहरा मनाएंगे..!शुभ विजयादशमी.📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍यही है दशहरे के शुभ अवसर पर मनोकामना…खुशी आप के कदम चूमे,कभी ना हो दुखों का सामना,धन ही धन आए आप के अंगना,यही है दशहरे के शुभ अवसर पर मनोकामना।आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍इससे पहले कि दशहरा की शाम हो जाए…इससे पहले कि दशहरा की शाम हो जाए,मेरा SMS औरों की तरह आम हो जाए,सारे Mobile Network जाम हो जाएं और दशहरा विश करना आम हो जाए… हैप्पी दशहरा आपको.📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍भीतर के रावण को जो आग खुद लगाएंगे…भीतर के रावण को जो आग खुद लगाएंगेसही मायने में वे ही दशहरा मनाएंगे..!शुभ विजयादशमी.📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍बुराई पर अच्छाई की जीत का समय…उत्सव का एक समय,बुराई पर अच्छाई की जीत का समय,एक समय जब दुनिया अच्छाई की शक्ति का उदाहरण देखती है,आइए हम उसी सच्ची भावना को जारी रखेंहैप्पी दशहरा.📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍रावण जलाओ, बुराई को आग लगाओ…रावण जलाओ,बुराई को आग लगाओ,अच्छाई को अपनाओ,हैप्पी दशहरा📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍विजयादशमी पर विजय का प्रतीक हैं श्रीरामविजयादशमी पर विजय का प्रतीक हैं श्रीरामबुराई पर अच्छाई का प्रतीक हैं श्री रामदशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍सफलता और तरक्की के साथ यह दशहरा हो खास…बुराई का होता है विनाश,दशहरा लाता है उम्मीद की आस,रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,सफलता और तरक्की के साथ यह दशहरा हो खास।📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍तहे दिल से कह रहा हूं हैप्पी दशहरा 2021आपकी जीवन में हो खुशियों का बसेरातहे दिल से कह रहा हूं हैप्पी दशहरा 2021📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍आयो मिलकर दशहरा मनाएं…आयो मिलकर दशहरा मनाएंअपने अंहकार रूपी रावण को जलाएंहैप्पी दशहरा📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍दशहरा का पर्व है अच्छाई का प्रतीक…दशहरा का पर्व है अच्छाई का प्रतीकबुराई की राह पर चलकर हार है निश्चितइस संदेश को करो अपने जीवन में शामिलदशहरा पर्व की शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍बुरे पर अच्छे की जय जयकार…धर्म पर धर्म की जीत, अन्याय पर न्याय की विजयबुरे पर अच्छे की जय जयकार, यही है दशहरा का त्योहार।👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭👭इस दशहरे हर मनुष्य बस एक नेक काम करें…इस दशहरे हर मनुष्य बस एक नेक काम करेंअंतर्मन में पनप रही हर बुराई का सर्वनाश करेंइसी कामना के साथ आपको दशहरे की शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍 14 Oct 2021आपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएंसत्य स्थापित करके, इस देश से बुराई को मिटाना होगाआतंकी रावण का दहन करने आज फिर राम को आना होगाआपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍आपको दशहरा की ढेरों सारी शुभ कामनाएं…आपके जीवन में कभी-भी कोई गम ना आएआपको दशहरा की ढेरों सारी शुभ कामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍Happy Dussehra 2021 Wishes: दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएंइससे पहले की दशहरे की शाम हो जाए,मेरा मैसेज औरों की तरह आम हो जाए,सारे मोबाइल नेटवर्क जाम हो जाएं,और दशहरा विश करना आम हो जाए📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍*बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब*आप सभी को Happy Vijayadashamतीन लोग आपका नंबर मांग रहे हैं, मैंने नहीं दिया.वो दशहरा के दिन आयेंगे उनके नाम हैं…सुख..!!शांति..!!समृधि..!!हैप्पी विजयदशमी।विजयदशमी पर विजय का प्रतीक हैं श्रीरामबुराई पर अच्छाई का प्रतीक हैं श्री रामदशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍📍

मान्यता है कि दशहरे के दिन ही प्रभु श्रीराम ने रावण का संहार किया था, इसलिए इस दिन को विजयदशमी भी कहा जाता है।
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*बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम संगरिया की टीम की तरफ से सभी को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं*
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: बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है दशहरा शारदीय नवरात्रि के नौ दिन समाप्त होने के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। दशहरा का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन भक्त मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को दशहरा मनाया जाता है। मान्यता है कि दशहरे के दिन ही प्रभु श्रीराम ने रावण का संहार किया था, इसलिए इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। इस साल 15 अक्टूबर को यह त्योहार मनाया जाएगा।
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दशहरे के दिन जगह-जगह पर मेले का आयोजन होता है, साथ ही रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले फूंके जाते हैं। असत्य पर सत्य की जीत के इस प्रतीक के दिन लोग अपने मित्रों, परिजनों और रिश्तेदारों को संदेश भेजकर शुभकामनाएं देते हैं। आप भी इन संदेशों के जरिए अपने परिजनों को विश कर सकते हैं-
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1- बुराई का होता है विनाश,
दशहरा लाता है उम्मीद की आस।
रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
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2- संकटों का तम घनेरा,
हो न आकुल मन ये तेरा।
संकटों के तम छटेंगे होगा फिर सुंदर सवेरा,
मुबारक हो आपको दशहरा।
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3- रावण की तरह
मन के विकारों का नाश हो,
प्रभु श्रीराम का हृदय में
सर्वदा वास हो।
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4- ज्योत से ज्योत जगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो
राह में आए जो दीन दुखी
सबको गले लगाते चलो
दिन आएगा सबका सुनहरा
मेरी तरफ से शुभ दशहरा
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5- कभी भी आप पर पड़े न दुख का साया,
प्रभु राम की कृपा का ऐसा असर रहे छाया,
हरदम धन धान्य रहे आप अंगना,
इस विजयादशमी यही है हमारी मनोकामना।
शुभ विजयादशमी
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फूलों की खुशबू अपनों का प्यार, मुबारक हो आपको विजयादशमी का त्योहार…
चांद की चांदनी शरद की बहार,

फूलों की खुशबू अपनों का प्यार,

मुबारक हो आपको विजयादशमी का त्योहार,

सदा खुश रहे आप और आपका परिवार
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दे बेशुमार खुशियां यह दशहरा आपको, हर प्यारी खुशी आपकी दीवानी हो जाए!
आज की नई सुबह बेहद सुहानी हो जाए,

दुखों की सारी कड़वाहट पुरानी हो जाए,

दे बेशुमार खुशियां यह दशहरा आपको,

हर प्यारी खुशी आपकी दीवानी हो जाए!

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खुशी आप के कदम चूमे, कभी ना हो दुखों का सामना…
खुशी आप के कदम चूमे,

कभी ना हो दुखों का सामना…

धन ही धन आए आपके आंगन में,

दशहरा के शुभ अवसर पर हमारी है यही मनोकामना,

विजयदशमी की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं!

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हैप्पी दशहरा 2021
आपके जीवन में कभी-भी कोई गम ना आए

आपको दशहरा की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं,

हैप्पी दशहरा 2021

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अत्याचार मिटाने के लिए अब हर घर से एक राम निकलेगा

अन्याय के रूप में अब नेताओं का भ्रष्टाचार है

रावण के रूप में नेताओं का अत्याचार है

भ्रष्टाचार और अत्याचार मिटाने के लिए शंख बजेगा

अब हर घर से एक राम निकलेगा

मंगलमय हो दशहरा।

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दशहरा के पावन पर्व की शुभकामनाएं!
दशहरा एक उम्मीद जगाता है,

बुराई के अंत की याद दिलाता है,

जो चलता है सत्य की राह पर

वो विजय का प्रतीक बन जाता हैं

दशहरा के पावन पर्व की शुभकामनाएं!

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दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं

सत्य स्थापित करके, इस देश से बुराई को मिटाना होगा,

आतंकी रावण का दहन करने आज फिर राम को आना होगा,

आपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।

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अधर्म पर धर्म की जीत का त्‍योहार है दशहरा

अधर्म पर धर्म की जीत,

अन्याय पर न्याय की विजय,

असत्य पर सत्य की जीत,

बुराई पर अच्छाई की जय जयकार,

यही है दशहरा का त्योहार।
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आपको दशहरा की कोटि-कोटि बधाई

इस दशहरा प्रण लेना होगा,

रावण नहीं राम बनकर रहना होगा,

बुराई के खिलाफ आवाज उठाना होगा,

हर बच्ची को आज दुर्गा बनाना होगा।

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दशहरा की शुभकामना व बधाई संदेश

बुराई का होता है विनाश,

दशहरा लाता है उम्मीद की आस,

रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,

सफलता और तरक्की के साथ यह दशहरा हो खास।

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विजय दशमी की यूं दें बधाइयां
भीतर के रावण को जो आग खुद लगाएंगे

सही मायने में वे ही दशहरा मनाएंगे..!

शुभ विजयादशमी.

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यही है दशहरे के शुभ अवसर पर मनोकामना…
खुशी आप के कदम चूमे,

कभी ना हो दुखों का सामना,

धन ही धन आए आप के अंगना,

यही है दशहरे के शुभ अवसर पर मनोकामना।

आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं

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इससे पहले कि दशहरा की शाम हो जाए…
इससे पहले कि दशहरा की शाम हो जाए,

मेरा SMS औरों की तरह आम हो जाए,

सारे Mobile Network जाम हो जाएं और दशहरा विश करना आम हो जाए… हैप्पी दशहरा आपको.

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भीतर के रावण को जो आग खुद लगाएंगे…
भीतर के रावण को जो आग खुद लगाएंगे

सही मायने में वे ही दशहरा मनाएंगे..!

शुभ विजयादशमी.

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बुराई पर अच्छाई की जीत का समय…
उत्सव का एक समय,

बुराई पर अच्छाई की जीत का समय,

एक समय जब दुनिया अच्छाई की शक्ति का उदाहरण देखती है,

आइए हम उसी सच्ची भावना को जारी रखें

हैप्पी दशहरा.

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रावण जलाओ, बुराई को आग लगाओ…
रावण जलाओ,

बुराई को आग लगाओ,

अच्छाई को अपनाओ,

हैप्पी दशहरा
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विजयादशमी पर विजय का प्रतीक हैं श्रीराम
विजयादशमी पर विजय का प्रतीक हैं श्रीराम

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक हैं श्री राम

दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं

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सफलता और तरक्की के साथ यह दशहरा हो खास…
बुराई का होता है विनाश,

दशहरा लाता है उम्मीद की आस,

रावण की तरह आपके दुखों का हो नाश,

सफलता और तरक्की के साथ यह दशहरा हो खास।

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तहे दिल से कह रहा हूं हैप्पी दशहरा 2021
आपकी जीवन में हो खुशियों का बसेरा

तहे दिल से कह रहा हूं हैप्पी दशहरा 2021
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आयो मिलकर दशहरा मनाएं…
आयो मिलकर दशहरा मनाएं
अपने अंहकार रूपी रावण को जलाएं
हैप्पी दशहरा

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दशहरा का पर्व है अच्छाई का प्रतीक…
दशहरा का पर्व है अच्छाई का प्रतीक

बुराई की राह पर चलकर हार है निश्चित

इस संदेश को करो अपने जीवन में शामिल

दशहरा पर्व की शुभकामनाएं
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बुरे पर अच्छे की जय जयकार…
धर्म पर धर्म की जीत, अन्याय पर न्याय की विजय

बुरे पर अच्छे की जय जयकार, यही है दशहरा का त्योहार।
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इस दशहरे हर मनुष्य बस एक नेक काम करें…
इस दशहरे हर मनुष्य बस एक नेक काम करें

अंतर्मन में पनप रही हर बुराई का सर्वनाश करें

इसी कामना के साथ आपको दशहरे की शुभकामनाएं
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 14 Oct 2021
आपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
सत्य स्थापित करके, इस देश से बुराई को मिटाना होगा
आतंकी रावण का दहन करने आज फिर राम को आना होगा
आपको पूरे परिवार सहित दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
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आपको दशहरा की ढेरों सारी शुभ कामनाएं…
आपके जीवन में कभी-भी कोई गम ना आए

आपको दशहरा की ढेरों सारी शुभ कामनाएं
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Happy Dussehra 2021 Wishes: दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
इससे पहले की दशहरे की शाम हो जाए,

मेरा मैसेज औरों की तरह आम हो जाए,

सारे मोबाइल नेटवर्क जाम हो जाएं,

और दशहरा विश करना आम हो जाए
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*बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब*
आप सभी को Happy Vijayadasham
तीन लोग आपका नंबर मांग रहे हैं, मैंने नहीं दिया.
वो दशहरा के दिन आयेंगे उनके नाम हैं…

सुख..!!

शांति..!!

समृधि..!!

हैप्पी विजयदशमी।

विजयदशमी पर विजय का प्रतीक हैं श्रीराम

बुराई पर अच्छाई का प्रतीक हैं श्री राम

दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं
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ज्ञान क्या है? By वनिता कासनियां पंजाब वेद, उपनिषद, गीता, श्री आदि शंकराचार्य जी, प्रभु श्री रामकृष्ण परमहंस जी, गुरू नानक देव जी, संत कबीरदास जी, प्रभु जीसस क्राइस्, प्रभु गौतमबुद्ध जी व सम्पूर्ण विश्व के धर्मों का सार यही कहता हैं कि ज्ञानी व्यक्ति या स्थितप्रज्ञा की अवस्था वाले व्यक्ति में यह सभी सूक्ष्म लक्षण होते हैं: ⤵️कर्तव्य निभाने से सम्बंधित लक्षण:प्रतिदिन जितना सम्भव हो सके परमात्मा के प्रति ध्यान-उपासना का निरन्तर एकान्त में भक्ति व प्रेमपूर्वक अभ्यासगृहस्थ जीवन व जीविका अर्जित के सभी कार्यों को सदैव पूर्ण ब्रह्मा की प्रेमभरी सतत याद में डूबे रह कर (जितना सम्भव हो सके) एकान्त में, सेवा भाव में तत्पर रहते हुए निभानासदा सत्य बोलने का साहस होनासमस्त प्राणियों में पूर्ण परमात्मा श्रीकृष्ण को वर्तमान जानना और सम्पूर्ण प्राणियों के प्रति अद्रोह का भाव रखना। [ईशवर की भक्ति व प्रेम से हृदय (आत्मा) पर लगातार ध्यान साधना से समस्त प्राणियों के प्रति स्वतः ही मन में संवेदना, दया व करूणा उत्पन्न हो जाती है।]स्वभाव व व्यवहारिक लक्षण:इनके अलावा प्रारब्धा (संस्कारों या) कर्मों के अनुकूल मिलने वाले हानि-लाभ में सन्तोष रखनास्त्री और पुत्र आदि में ममता व लगाव शून्य होनाअहङ्कार और क्रोध से रहित होनासरल व मृदु भाषी होनाप्रसन्न-चित्त रहनाअपनी निन्दा-स्तुति के प्रति विरक्त रहते हुए सदा एक समान रहनाजीवन के सुख दुःख, उतार-चढ़ाव और शीतोष्णादि द्वन्द्वों को सदैव समर्पण भाव से शान्तिपूर्ण सहन करनाआपत्तियों व कठिनाइयों से भय न करनानिद्रा, आहार और विहार आदि से अनासक्त रहनाव्यर्थ वार्तालाप व गतिविधियों के लिये स्वयं को अवकाश न देनाहृदय के भीतर की अवस्था के लक्षण:श्रेष्ठतम गुरू के मार्गदर्शन के अनुसार निष्ठा के साथ ध्यान-साधना करना; ईश्वर के अनन्त प्रेम के स्त्रोत से अटूट जुड़ाव का लगातार प्रयास व अहसास करना ताकि उपरोक्त लक्षण हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन सके।श्रीकृष्ण के सतत-स्मरण से अर्जित प्रबोध-सुधाकर (दिव्य आलोक के परम सत्य) में निरन्तर शान्तचित्त रहनाकोई भगवत्सम्बन्धी गीत व भजन के गान अथवा बाँसुरी (वाद्ययन्त्र द्वारा राग) बजाने या सुनने पर हृदय में एक ही समय में एक साथ आनन्द का आविर्भाव और सात्त्विक भावों का प्रौढ़ उद्रेक हो जाना।जीवात्मा मन के पूर्वाग्रही अज्ञान (संस्कारों के आवरणों) से मलीन है। जीवात्मा का स्वयं के दिव्य स्वरूप (आत्मा पर) प्रेमपूर्वक सतत ध्यान करने पर प्राप्त होने वाले दिव्य ज्ञान से वह पुनः निर्मल होती है आत्मज्ञान के ज्ञानाभ्यास से अपने आप अज्ञान का नाश हो जाता है जैसे सोते समय स्वप्न सच्चा सा मालूम होता है और जागने के बाद झूठा लगता है, वैसे ही अज्ञान व मलिन दशा में संसार सच्चा व ज्ञान होने तथा जानने पर झूठा लगने लगता है।श्री आदि शंकराचार्य जी आत्मबोध के श्लोक 32 से 34 में कहते हैं:जन्म, बुढ़ापा, दुबला-मोटा होना, रोग, मृत्यु आदि सिर्फ़ देह में है, आत्मा में नहीं है। आत्मा उनसे अन्य (सूक्ष्म दिव्य शरीर) है और बिना इन्द्रियवाला है। इससे शब्द, स्पर्श, स्वाद आदि विषयों का संग भी नहीं है। और बिना मन वाला होने से राग, द्वेष, दुःख, भय आदि भी आत्मा में नहीं है ॥32॥इस आत्मा से प्राण, मन व सब इन्द्रियाँ, आकाश, वायु, अग्नि, जल और संसार को धारण करनेवाली पृथ्वी उत्पन्न होती है ॥33॥आत्मा सत्, रज, तम गुणों से रहित, सदैव रहनेवाला, जाना-आना आदि क्रिया से रहित, संकल्प विकल्प से रहित, माया के दोषों से रहित; तथा सभी षट् विकारों: जन्म, शरीर-वृद्धि, बाल्यावस्था, प्रौढ़ता, वार्द्धक्य, व मृत्यु; तथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अरू (ज़ख़्म, रोग), व मत्सर (ईर्ष्या-द्वेष) से रहित, निराकार, सदा मुक्तस्वरूप निर्मल है ॥34॥श्री आदि शंकराचार्य जी के अनुसार:अन्तःकरण भगवान् श्रीकृष्णचन्द्रजी के चरणकमलों की भक्ति के बिना कभी शुद्ध नहीं हो सकता। जैसे वस्त्र को खारयुक्त जल से शुद्ध किया जाता है, उसी प्रकार चित्त को भक्ति से निर्मल किया जा सकता है ।बाइबल में सेंट थियोडोरोस कहते हैं: "इस तथ्य को अस्वीकार नहीं किया जा सकता जिसकी पिता स्वरूप प्रभु ने इतनी अच्छी तरह से पुष्टि की है, कि मनुष्य को मन में लगातार केवल इस विचार को बनाये रखने के अलावा कहीं और आराम नहीं मिलता है कि उसके हृदय के भीतर बसे (आराध्य) परमात्मा और वह (उपासक आत्मा) अकेले मौजूद हैं; और इसलिए वह अपनी बुद्धि को संसार की किसी भी अन्य चीज के लिए बिल्कुल भी भटकने नहीं देता है; बल्कि वह पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए तरसता है, सिर्फ़ उसके लिए। केवल ऐसे व्यक्ति को ही सच्चा सुख व आराम मिलेगा और अनगिनत कामनाओं के निर्मम जुनून से मुक्ति मिलेगी।” (द फिलोकलिया v.II. p. 34, 91)हमारे मन व बुद्धि जब दिव्य संतों के वचनों से प्रभावित होते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि जब कोई मनुष्य पूर्ण परमात्मा (सर्वज्ञाता, सर्वोपरि व सर्वव्यापक) को जानता है तो ऐसा कुछ भी शेष नहीं रह जाता है जो उसे वास्तव में जानने की आवश्यकता हो। क्योंकि पूर्ण परमात्मा को जानने का अर्थ है सब कुछ जान लेना।इसलिए, सच्चा ज्ञान खुद को (हृदय की नितांत गहराइयों में स्वयं को खो देने के पश्चात) प्रेम व भक्तिसागर की रहस्यमय असीम शांति में डूबाने पर ही प्राप्त होता है।इस प्रकार, जब मनुष्य को अपने भीतर ईश्वर का पूर्ण ज्ञान होता है, तो उसकी बुद्धि को ज्ञान की तलाश में नहीं भागना पढ़ता।और जब किसी व्यक्ति के पास ऐसा विवेक (अंतर्ज्ञान) हो अर्थात् विश्लेणात्मक तर्क के बिना सीधे अनन्त दिव्य ज्ञान के स्तोत्र से जानने की क्षमता हो; जब कोई इस तरह के अतुलनीय दिव्य ज्ञान का अधिकारी हो जाता तो कुछ भी ओर जानना बेमानी हो जाता है।जब तक किसी व्यक्ति का मन चंचल है; उसके मन में विचार दौड़ते रहते है, तो वह इस बात का प्रतीक है कि उसने अभी तक अपरिहार्य रूप से अपने उत्कृष्ट आत्मिक पहलुओं या स्वयं के उच्च (दिव्य) स्वभाव में बसना यानि अपनी आत्मा में आराम करना नहीं सीखा है।सेंट मैक्सिमोस इस तर्क को स्पष्ट करते हुए कहते हैं: “एक व्यक्ति का मन व बुद्धि जब अपने शरीर से सम्बन्ध-विच्छेद करके स्वयं को मुक्त कर लेती है तो उसे खुशी और दर्द का अनुभव नहीं होता है, पर मनुष्य ऐसा तब कर पाता है जब वह अपने मन व बुद्धि को परमात्मा से बांधता है या एकजुट कर लेता है; उस पूर्ण परमात्मा को चाहता है जो प्यार, लगाव व इच्छा का वास्तविक लक्ष्य व सर्वश्रेष्ठ सुपात्र है।“ (द फिलोकलिया (The Philokalia) v.II, p.175, 54)निस्वार्थ प्रेम में ईश्वर की याद में मन व बुद्धि का भक्ति मे डूबे रह कर खो जाने में ईश्वरीय शांति मिली है; प्रभु श्रीकृष्ण ने भगवत गीता के अध्याय 2:58 के चिंतनशील मणि रूपी श्लोक में इस स्थिति का वर्णन करते हुए कहा है:जिस प्रकार कछुवा अपने बचाव हेतु बार-बार अपने अंगो को संकुचित करके अपने खोल के भीतर कर लेता है, उसी तरह योगी, भक्त या आत्मसिद्ध व्यक्ति अपने मन व इन्द्रियों (ध्यान) को भक्तिभाव द्वारा इन्द्रियविषयों से खीँच कर पूर्ण ब्रह्मा की पूर्ण चेतना में दृढ़तापूर्वक स्थिर कर लेता है |तात्पर्यः अधिकांश व्यक्ति अपनी इन्द्रियों व मन के दास बने रहते हैं और इन्द्रियों के ही कहने पर चलते हैं। इन्द्रियों की तुलना विषैले सर्पों से की गई है; मानव का मन व इन्द्रियाँ सदैव अत्यन्त स्वतंत्रतापूर्वक तथा बिना किसी नियन्त्रण के कर्म करना चाहती हैं। योगी या भक्त का इन सर्पों को वश में करने के लिए, ईश्वर भक्ति की धुन में अत्यन्त प्रबल होना अति आवश्यक है। वह उन्हें कभी भी कार्य करने की छूट नहीं देता।जैसे कछुआ किसी भी समय अपने अंग समेट लेता है उसी तरह भक्त (ज्ञानी) परमात्मा के स्मरण में अपने मन व सभी इंद्रियों को इंद्रियों के आनंद के आकर्षण से तुरंत वापस खींच लेता है। और पुनः वह विशिष्ट उद्देश्यों से आवश्यकतानुसार उन्हें प्रकट कर लेता है तभी वह सदा कृष्णभावनामृत में स्थिर रह पाता है। (BG-Ch-2, V-58)http://vnita40.blogspot.com/2022/08/19-yoga-for-knee-pain-how-yogasana.htmlगलातियनस (Galatians) 5:24 के अनुसार: "वे सभी जो ईसा मसीह (ईश्वर/God) के हैं, उनसे सच्चा प्रेम करते हैं उन्होंने अपने निम्न स्वयं के साथ, अपने सभी जुनूनों और इच्छाओं को क्रूस पर चढ़ाया है।"गलातियनस 3:28 कहता है: "कोई यहूदी या ग्रीक नहीं है; कोई गुलाम या स्वतंत्र नहीं है; न ही कोई पुरुष या महिला है - क्योंकि सभी यीशु मसीह में एक है; वे सभी एक परमात्मा का (समानुरूप से) अभिन्न अंश हैं।”बाइबल के 11:24 में सेंट ल्यूक ने बड़ी ख़ूबसूरती से कहा है: "जब कोई (संस्कारों के आवरणों से ढकी) अशुद्ध प्यासी आत्मा मन के ज़रिए शान्ति व सुकून की तलाश में बाहर झांकती है तो उसे भौतिक जगत में कहीं भी दिव्यता का पवित्र जल नहीं मिलता, उसे जलरहित देशों से गुजरना पढ़ता है; वह चिरस्थायी आराम करने के लिए जगह तलाशती रहती है, और जब उसे कहीं भी शान्ति, सूकून व आराम नहीं मिलता है तो आखिरकार वह निर्णय लेती है कि मैं अपने घर वापस जाउगी जहां से मैं आयी हूँ।”इफिसियों (Ephesians) 4: 22-24 में कहा गया है कि: “हमें अपने पुराने स्व को (अर्थात अपनी पुरानी सोच व पूर्वाग्रहों को, पुरानी आदतों, पसन्द-नापसंदों आदि को) सदा अलग रखना चाहिये, क्योंकि वह हमारे पुराने (पिछले जन्मों के) तरीकों से संबंधित है और वह पुरानी भ्रामक इच्छाओं व धारणाओं का पालन करके भ्रष्ट हो चुकी है। तथा वह केवल हमारे मन का आत्मा पर ध्यान व लगाव करने से नवीनीकृत होती हैं; केवल तभी मनुष्य अपने (निम्न) स्वयं को परिवर्तित कर पुनः (उच्च) दिव्य मानव में ढाल सकता है। — मानव की वह उच्चतम दिव्य अवस्था जो परमेश्वर के दिव्य सनातनी सिद्धांतों पर, सत्य की पवित्रता व सार्वभौमिक न्याय पर अवधारित होती है।”श्री आदि शंकराचार्य जी ने आत्मबोध में बताया है कि ऐसी प्रतिदिन की अभ्यासवाली यह वासना कि मैं ब्रह्म ही हूँ अज्ञान के विक्षेपों को दूर करती है जैसे रसायन रोगों को ॥37॥ एकान्त स्थान में आसन पर बैठ वैराग्यवान् व जितेन्द्रिय हो एकाग्रचित्त कर उस अनन्त अद्वितीय परमात्मा का ध्यान करे ॥38॥वे आगे लिखते हैं कि: सुन्दर बुद्धिवाला ज्ञानी पुरुष अंतर्दृष्टि वाली बुद्धि से सब देखते हुए संसार को आत्मा में ही लीन करके सदा निर्मल आकाश की तरह एक परमात्मा का ही ध्यान करता है ॥39॥ आत्मज्ञानी पुरुष सब नामवर्ण (self-identity) आदि छोड़के पूरे चैतन्यानन्द रूप से रहता है ॥40॥श्री आदि शंकराचार्य जी कहते हैं कि: ज्ञानी व्यक्ति बाहर के झूठे सुखों का लगाव छोड़ आत्मसुख से युक्त अपने अंतस में ही घड़े में रक्खे दीपक की तरह साफ प्रकाशता है ॥51॥ सब कुछ जानता हुआ भी योगी पुरूष अज्ञानी की तरह रहता है और बिना लगाव के वायु की तरह आचरण करता है ॥52॥ईश्वरीय मनन में रहने वाला ज्ञानी व योगी उपाधियों से अलगाव बनाये रख कर भगवान् में पूरी रीति से लीन होता है जैसे जल में जल प्रकाश में प्रकाश और अग्नि में अग्नि ॥53॥ जिस आत्म लाभ से अधिक दूसरा लाभ नहीं जिस सुख से अधिक दूसरा सुख नहीं जिस ज्ञान से अधिक दूसरा ज्ञान नहीं वही ब्रह्मा है ऐसा विचार अपने मन व हृदय में बनाये रखता है ॥54॥अंत में श्री आदि शंकराचार्य जी कहते हैं कि: आत्मा ज्ञानरूपी सूर्य है। आकाशरूपी हृदय में उदय हो अन्धकाररूपी अज्ञान को दूर कर सबमें व्याप्त होकर सबको धारण करते व सबको प्रकाशित करते सुशोभित होता है ॥67॥जो विचार त्यागी पुरूष स्थान समय आदि को बिना देखे शीत उष्ण आदि के दूर करनेवाले सबमें रहने वाले माया रहित नित्य आनन्दरूप अपने आत्मतीर्थ को सेवन करता है वह सबकुछ जाननेवाला, सबमें रहता हुआ मुक्त होता है ॥68॥निष्कर्ष रूप में ज्ञान को शाब्दिक रूप में व्यक्त करना कठिन है चूँकि ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है अतः उसका व्यवहारिक रूप से ही प्रकटीकरण हो सकता है।अतः ज्ञान का अर्थ हुआ: मन, इन्द्रियों और शरीर द्वारा होनेवाले सम्पूर्ण कर्मों में कर्तापन के अभिमान से रहित होना।तथा सर्वव्यापी सच्चिदानन्दन परमात्मा के स्वरूप में एकीभाव से नित्य स्थित रहते हुए एक सच्चिदानन्दन वासुदेव (पूर्ण परमात्मा) के सिवाय हृदय व मन में अन्य किसी के भी होनेपन का भाव न रहना।तथा श्रद्धा व भक्तिपूर्वक मन, वाणी और शरीर सब प्रकार से ईश्वर के शरण होकर; गृहस्थाश्रम में ही रहते हुए, निम्नलिखित तरीक़े से प्रेमपूर्वक निरन्तर पूर्ण परमात्मा का “सतत स्मरण” करना तथा उनके दिव्य गुणों और दिव्य स्वरूप को प्रभावसहित अपने आचरण में उतारना। ⤵️http://vnitak.blogspot.com/2022/08/check-this-post-from.htmlईश्वर करे आपका जीवन दिव्य प्रेम, ज्ञान, शान्ति व परमानन्द से भर जाये! आमीन! आमीन! आमीन!

ज्ञान क्या है? By वनिता कासनियां पंजाब वेद, उपनिषद, गीता, श्री आदि शंकराचार्य जी, प्रभु श्री रामकृष्ण परमहंस जी, गुरू नानक देव जी, संत कबीरदास जी, प्रभु जीसस क्राइस्, प्रभु   गौतमबुद्ध जी व सम्पूर्ण विश्व के  धर्मों का सार  यही कहता हैं कि  ज्ञानी  व्यक्ति या  स्थितप्रज्ञा  की अवस्था वाले व्यक्ति में यह सभी  सूक्ष्म लक्षण  होते हैं: ⤵️ कर्तव्य निभाने   से सम्बंधित लक्षण: प्रतिदिन जितना सम्भव हो सके परमात्मा के प्रति ध्यान-उपासना का निरन्तर एकान्त में भक्ति व प्रेमपूर्वक अभ्यास गृहस्थ जीवन व जीविका अर्जित के सभी कार्यों को सदैव पूर्ण ब्रह्मा की प्रेमभरी सतत याद में डूबे रह कर (जितना सम्भव हो सके) एकान्त में, सेवा भाव में तत्पर रहते हुए निभाना सदा सत्य बोलने का साहस होना समस्त प्राणियों में पूर्ण परमात्मा श्रीकृष्ण को वर्तमान जानना और सम्पूर्ण प्राणियों के प्रति अद्रोह का भाव रखना। [ईशवर की भक्ति व प्रेम से हृदय (आत्मा) पर लगातार ध्यान साधना से समस्त प्राणियों के प्रति स्वतः ही मन में संवेदना, दया व करूणा उत्पन्न हो जाती है।] स...

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...