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गोपिकाएं तीन प्रकार की हैं।By बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब🌷कुमारिकाएं- जिन्होंने कात्यायनी का व्रत रखकर पतिरूप में कृष्ण को कामना की, उनका प्रेम स्वकीय प्रेम है और मर्यादा पुष्टि के अंतर्गत आता है।🌷गोपांगनाएं- गोपांनाओं ने लोक और वेद दोनों की मर्यादा का अतिक्रमण करके परकीया भाव से प्रेम किया था। इस प्रेम भाव को पुष्टि-पुष्टिमार्गीय कहा जाता है।🌷व्रजांगनाएं- व्रजांगनाओं का प्रेम मातृभाव का था। उसका सम्बन्ध नित्य सेवा विधि से रहा। आचार्य वल्लभ स्वयं भी एक स्थान पर लिखते हैं कि- कृष्णाधीना तु मर्यादा स्वाधीना पुष्टिरुच्यते।गोपी भाव से याद करने पर प्रकट हो जाते है कन्हैया...!निरन्तर भक्ति भाव से ही गोविन्दकी प्राप्ति होती है।जो भक्त निरन्तर गोपी भाव से अपने गोविन्दको भजते हैं, उस पर भगवान श्री हरि अवश्य ही कृपा करते हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने भी स्वयं गीता में कहा है।"तेशां सततयुक्तां भजतां प्रीतिपूर्वकं,ददामि बुद्धि योगं तं येन मामु पयान्तिते"अर्थात् जो निरन्तर मेरे ध्यान में लगे हुए प्रेमपूर्वक मेरा भजन करते हैं,उन्हें मैं तत्वज्ञान रूप योग देता हूं,जिससे वे मुजे ही प्राप्त होते हैं.गोपियां भी तो यही भाव रखती थीं।गोपी किसी स्त्री जाति को नहीं कहते बल्कि गोपी तो एक भाव का नाम है।गोपी का अर्थ है 'गौ' अर्थात् इन्द्रिय और 'पी'अर्थात् पीना।गोभिः इन्द्रियैः कृश्णरसं विपति इति गोपी।अर्थात् जो प्रत्येक इन्द्रिय से हर परिस्थिति में उठते बैठते, चलते फिरते श्रीकृष्ण रस का पान करें। श्रीकृष्णका ही चिन्तन करें वह गोपी हैं.बृजमण्डल की जितनी भी गोपियां थीं।वो निरन्तर भगवान श्रीकृष्ण के चरणों मेंही अपना ध्यान लगाती थीं।गोपी के आटे में कृष्णगोपी के माखन में कृष्णगोपी के हर काम में कृष्णमानस वाचा कर्मणा हर जगह कृष्ण-कृष्णे- कृष्णत रहतेथे, और इसी भाव ने उन्हें गोपी बनाया।यदि हम भी अपने कन्हैया को गोपी भाव से याद करेंगे, तो वो प्यारा सा कन्हैया आज भी हमारे आपके बीच में प्रकट हो सकता है।💗

गोपिकाएं तीन प्रकार की हैं।

By बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब

🌷कुमारिकाएं- जिन्होंने कात्यायनी का व्रत रखकर पतिरूप में कृष्ण को कामना की, उनका प्रेम स्वकीय प्रेम है और मर्यादा पुष्टि के अंतर्गत आता है।
🌷गोपांगनाएं- गोपांनाओं ने लोक और वेद दोनों की मर्यादा का अतिक्रमण करके परकीया भाव से प्रेम किया था। इस प्रेम भाव को पुष्टि-पुष्टिमार्गीय कहा जाता है।
🌷व्रजांगनाएं- व्रजांगनाओं का प्रेम मातृभाव का था। उसका सम्बन्ध नित्य सेवा विधि से रहा। आचार्य वल्लभ स्वयं भी एक स्थान पर लिखते हैं कि- 

कृष्णाधीना तु मर्यादा स्वाधीना पुष्टिरुच्यते।

गोपी भाव से याद करने पर प्रकट हो जाते है कन्हैया...!
निरन्तर भक्ति भाव से ही गोविन्दकी प्राप्ति होती है।
जो भक्त निरन्तर गोपी भाव से अपने गोविन्दको भजते हैं, उस पर भगवान श्री हरि अवश्य ही कृपा करते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने भी स्वयं गीता में कहा है।
"तेशां सततयुक्तां भजतां प्रीतिपूर्वकं,
ददामि बुद्धि योगं तं येन मामु पयान्तिते"
अर्थात् जो निरन्तर मेरे ध्यान में लगे हुए प्रेमपूर्वक मेरा भजन करते हैं,उन्हें मैं तत्वज्ञान रूप योग देता हूं,
जिससे वे मुजे ही प्राप्त होते हैं.
गोपियां भी तो यही भाव रखती थीं।
गोपी किसी स्त्री जाति को नहीं कहते बल्कि गोपी तो एक भाव का नाम है।
गोपी का अर्थ है 'गौ' अर्थात् इन्द्रिय और 'पी'अर्थात् पीना।
गोभिः इन्द्रियैः कृश्णरसं विपति इति गोपी।
अर्थात् जो प्रत्येक इन्द्रिय से हर परिस्थिति में उठते बैठते, चलते फिरते श्रीकृष्ण रस का पान करें। श्रीकृष्णका ही चिन्तन करें वह गोपी हैं.
बृजमण्डल की जितनी भी गोपियां थीं।वो निरन्तर भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में
ही अपना ध्यान लगाती थीं।
गोपी के आटे में कृष्ण
गोपी के माखन में कृष्ण
गोपी के हर काम में कृष्ण
मानस वाचा कर्मणा हर जगह कृष्ण-कृष्णे- कृष्णत रहते
थे, और इसी भाव ने उन्हें गोपी बनाया।
यदि हम भी अपने कन्हैया को गोपी भाव से याद करेंगे, तो वो प्यारा सा कन्हैया आज भी हमारे आपके बीच में प्रकट हो सकता है।💗

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...