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रामायण के अनुसार भगवान राम ने, जब सीता स्वयंवर में जब धनुष तोड़ा था। उसके बाद सीता जी को सात फेरे के लिए, सजाया जा रहा था। तो वह अपनी मां से प्रश्न पूछ बैठी माता श्री इतना श्रंगार क्यों। By वनिता कासनियां पंजाब ? उनकी उनकी माताजी ने उत्तर दिया बेटी विवाह के समय वधू का सोलह सिंगार करना आवश्यक है क्योंकि श्रंगार वर वधू के लिए नहीं किया जाता यह तो आर्यव्रत की संस्कृति का अभिन्न अंग है।" अर्थात सीता जी ने पुनः पूछा इस मिस्सी आर्यवर्त से क्या संबंध है? "बेटी मिस्सी धारण करने का अर्थ है, कि आज से तुम्हें बहाना बनाना छोड़ना होगा ।" और मेहंदी का अर्थ? "मेहंदी लगाने का अर्थ है, कि जग मैं अपनी लाली तुम्हें बनाए रखनी होगी ।" और काजल का क्या अर्थ है माता जी? "बेटी काजल लगाने का अर्थ है, कि सील का काजल आंखों में हमेशा, धारण करना होगा, अब से तुम्हें ।" बिंदिया लगाने का अर्थ माता श्री? "बिंदिया का अर्थ है, कि आज से तुम्हें शरारत को तिलांजलि देनी होगी। और सूर्य की तरह प्रकाशमान रहना होगा ।" यह नथ क्यों? "नथ का अर्थ है मन की, नथ यानी कि किसी की बुराई आज के बाद नहीं करोगी। मन पर लगाम लगाना होगा ।" और यह टीका? "पुत्री टीका यश का प्रतीक है। तुम्हें ऐसा कोई कर्म नहीं करना है, जिससे पिता या पति का घर कलंकित हो। क्योंकि अब तुम दो घरों की प्रतिष्ठा हो ।" और यह बंदिनी क्यों? "बेटी बंदिनी का अर्थ है, कि पति सास-ससुर आदि की सेवा करनी होगी।" पत्ती का अर्थ? "पत्ती का अर्थ है, कि अपनी पंत यानी लाज को, बनाए रखना है ।लाज ही स्त्री का वास्तविक गहना होता है ।" करण फूल क्यों? "हे सीते करण फूल का अर्थ है, कि दूसरों की प्रशंसा सुनकर हमेशा प्रसन्न रहना होगा ।" और इस हंसली से क्या तात्पर्य है? "हंसली का अर्थ है, कि हमेशा हंसमुख रहना होगा, सुख ही नहीं दुख में भी धैर्य से काम लेना ।" मोहन माला क्यों? "मोहन माला का अर्थ है, कि सबका मन मोह लेने वाले कर्म करती रहना ।" नौलखा हार का क्या मतलब है? "पुत्री नौलखा हार का अर्थ है, कि पति से सदा हार स्वीकारना सीखना होगा।" कड़े का अर्थ? "कड़े का अर्थ है, कि कठोर बोलने का त्याग करना होगा ।" बांका का क्या अर्थ है? "बांका का अर्थ है, कि हमेशा सीधा साधा जीवन व्यतीत करना होगा।" छल्ले का अर्थ? "छल्ले का अर्थ है कि अब किसी से छल नहीं करना।" और पायल का क्या अर्थ है? "पायल का अर्थ है कि, सास व बूढ़ी औरतों के पैर दबाना उन्हें सम्मान देना, क्योंकि उनके चरणों में ही सच्चा स्वर्ग है" और अंगूठी का अर्थ क्या है?अंगूठी का अर्थ है , की हमेशा छोटों को आशीर्वाद देते रहना।" माता श्री फिर मेरे अपने लिए क्या श्रंगार है?"बेटी आज के बाद तुम्हारा तो, कोई अस्तित्व इस दुनिया में है ही नहीं। तुम तो अब से पति की परछाई हो, हमेशा उनके सुख-दुख में साथ रहना, वही तेरा श्रृंगार है ।और उनके आधे शरीर को तुम्हारी परछाई ही पूरा करेगी"हे राम " कहते हुए सीता जी मुस्कुरा दी, शायद इसलिए कि शादी के बाद पति का नाम भी, मुख से नहीं ले सकेंगी। क्योंकि पति की अर्धांगिनी होने से कोई स्वयं अपना नाम लेगा, तो लोग क्या कहेंगे।अगर आपको मेरा जवाब पसंद आया। हो तो कृपया मुझे आप वोट एवं फॉलो करें । नमस्कार

रामायण के अनुसार भगवान राम ने, जब सीता स्वयंवर में जब धनुष तोड़ा था। उसके बाद सीता जी को सात फेरे के लिए, सजाया जा रहा था। तो वह अपनी मां से प्रश्न पूछ बैठी माता श्री इतना श्रंगार क्यों।

By वनिता कासनियां पंजाब ?

उनकी उनकी माताजी ने उत्तर दिया बेटी विवाह के समय वधू का सोलह सिंगार करना आवश्यक है क्योंकि श्रंगार वर वधू के लिए नहीं किया जाता यह तो आर्यव्रत की संस्कृति का अभिन्न अंग है।

" अर्थात सीता जी ने पुनः पूछा इस मिस्सी आर्यवर्त से क्या संबंध है? "

बेटी मिस्सी धारण करने का अर्थ है, कि आज से तुम्हें बहाना बनाना छोड़ना होगा ।

" और मेहंदी का अर्थ? "

मेहंदी लगाने का अर्थ है, कि जग मैं अपनी लाली तुम्हें बनाए रखनी होगी ।

" और काजल का क्या अर्थ है माता जी? "

बेटी काजल लगाने का अर्थ है, कि सील का काजल आंखों में हमेशा, धारण करना होगा, अब से तुम्हें ।

" बिंदिया लगाने का अर्थ माता श्री? "

बिंदिया का अर्थ है, कि आज से तुम्हें शरारत को तिलांजलि देनी होगी। और सूर्य की तरह प्रकाशमान रहना होगा ।

" यह नथ क्यों? "

नथ का अर्थ है मन की, नथ यानी कि किसी की बुराई आज के बाद नहीं करोगी। मन पर लगाम लगाना होगा ।

" और यह टीका? "

पुत्री टीका यश का प्रतीक है। तुम्हें ऐसा कोई कर्म नहीं करना है, जिससे पिता या पति का घर कलंकित हो। क्योंकि अब तुम दो घरों की प्रतिष्ठा हो ।

" और यह बंदिनी क्यों? "

बेटी बंदिनी का अर्थ है, कि पति सास-ससुर आदि की सेवा करनी होगी।

" पत्ती का अर्थ? "

पत्ती का अर्थ है, कि अपनी पंत यानी लाज को, बनाए रखना है ।लाज ही स्त्री का वास्तविक गहना होता है ।

" करण फूल क्यों? "

हे सीते करण फूल का अर्थ है, कि दूसरों की प्रशंसा सुनकर हमेशा प्रसन्न रहना होगा ।

" और इस हंसली से क्या तात्पर्य है? "

हंसली का अर्थ है, कि हमेशा हंसमुख रहना होगा, सुख ही नहीं दुख में भी धैर्य से काम लेना ।

" मोहन माला क्यों? "

मोहन माला का अर्थ है, कि सबका मन मोह लेने वाले कर्म करती रहना ।

" नौलखा हार का क्या मतलब है? "

पुत्री नौलखा हार का अर्थ है, कि पति से सदा हार स्वीकारना सीखना होगा।

" कड़े का अर्थ? "

कड़े का अर्थ है, कि कठोर बोलने का त्याग करना होगा ।

" बांका का क्या अर्थ है? "

बांका का अर्थ है, कि हमेशा सीधा साधा जीवन व्यतीत करना होगा।

" छल्ले का अर्थ? "

छल्ले का अर्थ है कि अब किसी से छल नहीं करना।

" और पायल का क्या अर्थ है? "

पायल का अर्थ है कि, सास व बूढ़ी औरतों के पैर दबाना उन्हें सम्मान देना, क्योंकि उनके चरणों में ही सच्चा स्वर्ग है

" और अंगूठी का अर्थ क्या है?

अंगूठी का अर्थ है , की हमेशा छोटों को आशीर्वाद देते रहना।

" माता श्री फिर मेरे अपने लिए क्या श्रंगार है?"

बेटी आज के बाद तुम्हारा तो, कोई अस्तित्व इस दुनिया में है ही नहीं। तुम तो अब से पति की परछाई हो, हमेशा उनके सुख-दुख में साथ रहना, वही तेरा श्रृंगार है ।और उनके आधे शरीर को तुम्हारी परछाई ही पूरा करेगी

"हे राम " कहते हुए सीता जी मुस्कुरा दी, शायद इसलिए कि शादी के बाद पति का नाम भी, मुख से नहीं ले सकेंगी। क्योंकि पति की अर्धांगिनी होने से कोई स्वयं अपना नाम लेगा, तो लोग क्या कहेंगे।

अगर आपको मेरा जवाब पसंद आया। हो तो कृपया मुझे आप वोट एवं फॉलो करें । नमस्कार

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...