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अंतिम सांस गिन रहे #जटायु_ने कहा कि "मुझे पता था कि मैं #रावण_से नही जीत सकता लेकिन फिर भी मैं लड़ा ..यदि मैं नही लड़ता तो आने वाली #पीढियां_मुझे कायर कहतीं"#वनिता #कासनियां #पंजाब 🙏🙏जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो मृत्यु आई और जैसे ही मृत्यु आयी... तो गिद्धराज जटायु ने मृत्यु को ललकार कहा..."खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना..! मैं तुझ को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती... जब तक मैं माता #सीता जी की "सुधि" प्रभु "#श्रीराम" को नहीं सुना देता...!मौत उन्हें छू नहीं पा रही है... काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला ।किन्तु #महाभारत के #भीष्म_पितामह छह महीने तक बाणों की #शय्या पर लेट करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे... आँखों में आँसू हैं ...वे पश्चाताप से रो रहे हैं... भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...! कितना अलौकिक है यह दृश्य... #रामायण मे जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं... प्रभु "श्रीराम" रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं... वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान "#श्रीकृष्ण" हँस रहे हैं... भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं... ?अंत समय में जटायु को प्रभु "श्रीराम" की #गोद की शय्या मिली... लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय #बाण की शय्या मिली....! जटायु अपने #कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की #गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे हैं.. प्रभु "श्रीराम" की #शरण में..... और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं.... ऐसा अंतर क्यों?... ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म *पितामह* ने #द्रौपदी चीरहरन देखा था... विरोध नहीं कर पाये और मौन रह गए थे ...! दुःशासन को ललकार देते... दुर्योधन को ललकार देते...तो उनका साहस न होता, लेकिन द्रौपदी रोती रही... #बिलखती रही... #चीखती रही... #चिल्लाती रही... लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे... #नारी की #रक्षा नहीं कर पाये...!उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली और .... जटायु ने नारी का सम्मान किया... अपने प्राणों की आहुति दे दी... तो मरते समय भगवान "श्रीराम" की गोद की शय्या मिली...!#Vnita 🙏जो दूसरों के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं ... उनकी गति #भीष्म जैसी होती है ... जो अपना परिणाम जानते हुए भी...औरों के लिए #संघर्ष करते है, उसका माहात्म्य #जटायु जैसा #कीर्तिवान होता है । अतः सदैव #गलत का #विरोध जरूर करना चाहिए । "#सत्य" परेशान जरूर होता है, पर #पराजित नहीं ।।

अंतिम सांस गिन रहे #जटायु_ने कहा कि "मुझे पता था कि मैं #रावण_से नही जीत सकता लेकिन फिर भी मैं लड़ा ..यदि मैं नही लड़ता तो आने वाली #पीढियां_मुझे कायर कहतीं"

#वनिता #कासनियां #पंजाब 🙏🙏

जब रावण ने जटायु के दोनों पंख काट डाले... तो मृत्यु आई और जैसे ही मृत्यु आयी... तो गिद्धराज जटायु ने मृत्यु को ललकार कहा...
"खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना..! मैं तुझ को स्वीकार तो करूँगा... लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती... जब तक मैं माता #सीता जी की "सुधि" प्रभु "#श्रीराम" को नहीं सुना देता...!

मौत उन्हें छू नहीं पा रही है... काँप रही है खड़ी हो कर...मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही... यही इच्छा मृत्यु का वरदान जटायु को मिला ।

किन्तु #महाभारत के #भीष्म_पितामह छह महीने तक बाणों की #शय्या पर लेट करके मृत्यु की प्रतीक्षा करते रहे... आँखों में आँसू हैं ...वे पश्चाताप से रो रहे हैं... भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...! 
कितना अलौकिक है यह दृश्य... #रामायण मे जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं... 
प्रभु "श्रीराम" रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं... 
वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान "#श्रीकृष्ण" हँस रहे हैं... भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं... ?

अंत समय में जटायु को प्रभु "श्रीराम" की #गोद की शय्या मिली... लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय #बाण की शय्या मिली....!
 जटायु अपने #कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की #गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे हैं.. प्रभु "श्रीराम" की #शरण में..... और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं.... 

ऐसा अंतर क्यों?...     

ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म *पितामह* ने #द्रौपदी  चीरहरन देखा था... विरोध नहीं कर पाये और मौन रह गए थे ...! 
 दुःशासन को ललकार देते... दुर्योधन को ललकार देते...
तो उनका साहस न होता, लेकिन द्रौपदी रोती रही... #बिलखती रही... #चीखती रही... #चिल्लाती रही... लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे... #नारी की #रक्षा नहीं कर पाये...!

उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली और .... 
 जटायु ने नारी का सम्मान किया... 
अपने प्राणों की आहुति दे दी... तो मरते समय भगवान 
"श्रीराम" की गोद की शय्या मिली...!
#Vnita 🙏
जो दूसरों के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं ... उनकी गति #भीष्म जैसी होती है ... 
जो अपना परिणाम जानते हुए भी...औरों के लिए #संघर्ष करते है, उसका माहात्म्य #जटायु जैसा #कीर्तिवान होता है ।

 अतः सदैव #गलत का #विरोध जरूर करना चाहिए । 
"#सत्य" परेशान जरूर होता है, पर #पराजित नहीं ।।

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...