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अयोध्या धाम के प्रमुख मंदिर1.सरयू नदी2.राम पैड़ी3.नागेश्वर नाथ मंदिर4.कालेराम जी5.तुलसी स्मारक भवन6.श्री जानकी महल7.श्री वाल्मीकि रामायण भवन (लव कुश मंदिर)8.हनुमान बाग9.जानकी वल्लभ10.छोटी देवकाली मंदिर11.हनुमान गढ़ी - (अति महत्वपूर्ण दर्शन)12.दशरथ महल13.श्रीरामजन्मभूमि - (अति महत्वपूर्ण दर्शन)14.कनक भवन - (अति महत्वपूर्ण दर्शन)15.राम कथा संग्रहालय16.बिड़ला मंदिर17.मणि पर्वतअयोध्या के प्रभुख दर्शनीय स्थान(अयोध्या रेलवे स्टेशन से सभी मन्दिर कुछ ही किलोमीटर (लगभग 3-4 किमी0) की दूरी पर स्थित है )1.रामकोट(लगभग 2 किमी0)यह नगर की पश्चिमी दिशा में स्थित है जहाँ अनेक मन्दिर एवं दर्शनीय स्थान अवस्थित है।चैत्रमास की रामनवमी (मार्च-अप्रैल) को भगवान राम के जन्मोत्सव के पावन पर्व पर यहाँ देश-विदेश के श्रद्धालुओं का बड़ी संख्या में आवागमन होता है।दर्शनावधि:-ग्रीष्मकाल-प्रातः7.00 से 11.00 बजे तक अपरान्ह 2.00 से सायं 6.00 बजे तक।शीतकाल-प्रातः7.30 से 10.30 बजे तक अपरान्ह 2.00 से सायं 5.00 बजे तक।2.कनक भवनकनक भवन के में एक रोचक कथा प्रचलित है कि जब जानकी जी विवाह के पश्चात अयोध्या आई,तो महारानी कैकेयी ने कनक-निर्मित अपना महल उनको प्रथम भेंट स्वरुप प्रदान किया था।महाराजा विक्रमादित्य ने इसका पुनर्निमाण करवाया।बाद में टीकमगढ़ रियासत की महारानी वृषभानु कुंवारी ने एक सुन्दर विशाल भवन इसी स्थान पर पुनः निर्मित करवाया,जो आज भी विद्धमान है।इसी भवन में स्थित मन्दिर में श्री राम और किशोरी जी की दिव्य प्रतिमाएं स्थापित है।दर्शनावधि: प्रातः8.00 से बजे तक 12.00 बजे तक सायं 4.50 से 9.00 बजे तक।3.हनुमान गढ़ी(अयोध्या जंक्शन से लगभग 1 किमी0 उत्तर-पूर्व)रामकोट के पश्चिम द्वार पर महाराजा विक्रमादित्य ने हनुमान जी का एक मन्दिर बनवाया था,जो कालान्तर में हनुमान टीले के नाम से प्रसिद्ध हुआ।ऊँचे स्थान पर स्थित इस मन्दिर ७६ सीढियाँ चढ़कर पहुँचा जाता है।दर्शनावधि :-ग्रीष्मकाल-प्रातः 4.00 से रात्रि 11.00 बजे तक।शीतकाल-प्रातः5 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक।4.नागेश्वरनाथ मन्दिर(लगभग 4 किमी0 उत्तर-पूर्व एवं राम की पैड़ी के समीप)नागेश्वरनाथ जी का मन्दिर अयोध्या के प्रमुख मंदिरों में से एक है।श्री रामचंद्र जी के पुत्र महाराज कुश जी द्वारा स्थापित इस मन्दिर की स्थापना के सम्बन्ध में कथा प्रचलित है कि एक दिन जब महाराजा कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे,तो उनके हाथ का कंगन जल में गिर गया,जिसे नाग-कन्या उठा ले गयी, बहुत खोजने के बाद भी जब महाराजा कंगन प्राप्त नहीं कर सके,तब कुपित होकर उन्होंने जल को सुखा देने की इच्छा से अग्निशर का संधान किया,जिसके परिणामस्वरुप जल-जन्तु व्याकुल होने लगे।तब नागराज से स्वयं वह कंगन लाकर महाराजा कुश को सादर भेंट किया तथा उनसे अपनी पुत्री से विवाह करने का अनुरोध किया।महाराजा कुश ने नाग-कन्या से विवाह करके उस घंटना की स्मृति में उस स्थान पर नागेश्वर मन्दिर की स्थापना की।उसी स्थान पर आज एक विशाल शिव मन्दिर स्थित है।प्रत्येक त्रयोदशी एवं शिवरात्रि महापर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु तीर्थ यात्री सरयू-स्नान करके इस मन्दिर में जल चढ़ाने आते है।दर्शनावधि:-ग्रीष्मकाल-प्रातः 5.00 से रात्रि 08.30 बजे तक तथा सायं 4.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक।शीतकाल-प्रातः6 बजे से रात्रि 11.00 बजे तक तथा सायं 4.00 बजे से रात्रि 7.00 बजे तक।5.छोटी देवकाली मन्दिर(अयोध्या जंक्शन से 2 किमी0)यह मन्दिर नये घाटी के समीप एक गली में स्थित है।छोटी देवकाली जी अवध की ग्राम देवी मानी जाती है,मान्यतानुसार विवाहोपरान्त जब सीता जी अयोध्या आने लगी,तो अपने साथ अपनी पूज्या देवी गिरिजा जी को भी साथ लायी महाराज दशरथ ने उनकी स्थापना सप्तसागर के समीप एक सुन्दर मन्दिर में की।जानकी जी नित्य नियमपूर्वक प्रातःकाल परम शक्तिस्वरूपा माँ गिरिजा की की विधिवत उपासना करती थी।वर्तमान में यहाँ श्री देवकाली जी की देदीप्यमान भव्य प्रतिमा स्थापित है।दर्शनावधि:-सूर्योदय से सूर्यास्त तक।6.मत्तगयन्द (मातगैंड) जी का स्थान(लगभग 2 किमी0)मत्तगयन्द जी लंकाधिपति विभीषण जी के पुत्र थे,उनका स्थान कनक भवन मन्दिर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है।ये रामकोट के उत्तरी फाटक के प्रधान रक्षक थे।प्रतिवर्ष होली के बाद पड़ने वाले प्रथम मंगल के दिन उहाँ विशाल मेला लगता है।7.कालेराम जी का मन्दिर(2.5 किमी0)नागेश्वरनाथ मन्दिर के समीप सरयू नदी के पावन तट पर स्वर्गद्वार मोहल्ले में कालेराम जी का मन्दिर है।यहाँ विक्रमादित्य कालीन मूर्तियाँ स्थापित है।अयोध्या के प्राचीन मन्दिरों में कालेराम जी के मन्दिर का प्रमुख स्थान है।दर्शनावधि:-ग्रीष्मकाल-प्रातः 4.30 से 11.00 बजे तक तथा सायं 4.00 से रात्रि 9.00 बजे तक।शीतकाल-प्रातः 5.00 से 11.30 बजे तक तथा सायं 4.00 से रात्रि 8.00 बजे तक।8.मणिपर्वत(लगभग 1 किमी0)विद्याकुण्ड के समीप 65 फिट की ऊँचाई पर स्थित मणिपर्वत के बारे में जनश्रुति है कि हिमालय से संजीवनी बूटी को लेकर लंका जाते हुए पवनसुत हनुमान जी ने संजीवनी बूटी के पर्वत-खण्ड को रखकर यहाँ विश्राम किया था।ऊपर मन्दिर एवं झूला दर्शनीय है। श्रावण मास में अयोध्या में संपन्न होने वाले प्रसिद्ध झूलनोत्सव का प्रारम्भ यहीं से होता है।उस अवसर पर हजारों की संख्या में भक्तजन भगवान की मनोहारी झांकी देखने के लिए उपस्थित होते है।दर्शनावधि:- सूर्योदय से सूर्यास्त तक9.लक्ष्मण किला:सरयू के पावन तट पर स्थित लक्ष्मण किले का निर्माण मुबारक अली खाँ ने करवाया था। इसे किला मुबारक भी कहा जाता है।रसिक संप्रदाय के सन्त स्वामी युगलानन्द पारण जी महाराज,निर्मली कुण्ड पर तप करते थे उनके स्वर्गवासी होने के उपरान्त कालांतर में दीवान रीवाँ दीनबन्धु जी ने इस स्थान पर एक विशाल मन्दिर बनवाया,जो आज भी विद्धमान है।10.क्षीरेश्वरनाथ महादेव मन्दिर(लगभग 1/2 किमी0)हनुमान गढ़ी चौराहे से फैज़ाबाद-लखनऊ जाने वाले मार्ग पर क्षीरसागर स्थित है। इसके समीप ही श्री क्षिरेश्वरनाथ महादेव जी का भव्य शिवालय स्थित है। वर्गाकार चबूतरे पर निर्मित,इस मन्दिर में एक विशाल शिवलिंग स्थापित है।11.कोशलेश सदन(लगभग 1.5 किमी0)यह मन्दिर कटरा मोहल्ले में स्थित है।अयोध्या स्थित रामानुजी वैष्णवों की तिंगल शाखा के प्रमुख मन्दिरों में यह मन्दिर अद्वितीय है।12.लव-कुश मन्दिर(लगभग 1.5 किमी0)भगवान् राम के पुत्रों-लव व् कुश के नाम पर निर्मित इस मन्दिर में लव व कुश की मूर्ति के साथ महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा भी स्थापित है।इसके समीप ही अंबरदास जी राम कचेहरी मन्दिर, जगन्नाथ मन्दिर तथा रंगमहल मन्दिर है,जो अयोध्या के प्रमुख दक्षिण भारतीय मन्दिरों में गिने जाते है।13.विजेराघव मन्दिर(लगभग 1.5 किमी0)यह मन्दिर विभीषण कुण्ड जाने वाले मार्ग पर स्थित है।इसकी स्थापना 1915 ईस्वी में की गई थी।अचारी संप्रदाय के तिंगल शाखा के अयोध्या स्थित मन्दिरों में इसका प्रमुख स्थान है।14.रत्नसिँहासन (राजगद्दी)(लगभग 1.5 किमी0)यह भवन कनक भवन की दक्षिण दिशा में है।मान्यतानुसार यहाँ भगवान राम का राज्याभिषेक संपन्न हुआ था।15.दंतधावन कुण्ड(लगभग 1.5.किमी0)श्री वैष्णव के वड़गल शाखा के अंतर्गत आने वाला यह मन्दिर हनुमान गढ़ी चौराहे से रामघाट तुलसी स्मारक जाने वाले मार्ग पर स्थित है।किवंदन्ती के अनुसार इसी स्थान पर श्री रामचन्द्र जी चारों भाइयों के साथ प्रातःदतुवन करते थे।16.वाल्मीकि रामायण भवन(लगभग 3 किमी0)इस भवन में सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण को संगमरमर पर अंकित किया गया है।दर्शनावधि:-सूर्योदय से सूर्यास्त तक।17.तुलसी स्मारक भवन/अयोध्या शोध संस्थान/राम-कथा-संग्रहालय।(लगभग 1 किमी0)तुलसी चौरा के समीप उत्तर-प्रदेश सरकार द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति में स्मारक भवन का निर्माण करवाया गया है। भवन से संचालित अयोध्या शोध संस्थान के तत्त्वाधान में यहाँ प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ला सप्तमी को गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती विशेष अयोजनपूर्वक मनायी जाती है।यहाँ विशाल ग्रन्थागार, पुस्तकालय-वाचनालय एवं हस्तशिल्प का राम-कथा-विषयक सामग्रियों का संग्रह तथा अनुसंधाताओ के लिए तुलसी-सहित्य पर उत्तम सामग्री भी उपलब्ध है।विशेष आकर्षण:-अनवरत रामलीला एवं कथा-वचन कार्यक्रम।प्रतिदिन सायं 6.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक।18.राम-कथा-संग्रहालयतुलसी स्मारक भवन में स्थित राम-कथा-संग्रहालय में राम कथा से संबधित विभिन्न प्रकार की पेंटिंग,हाथी-दांत के मुखौटे,प्राचीन दर्शनीय वस्तुएं और देश के विभिन्न संग्रहालयों में संग्रहीत राम-कथा से संबधित मूल सामग्रियों के चित्र उपलब्ध है।साप्ताहिक अवकाश:-सोमवार एवं सार्वजनिक अवकाश दिवस।19.गुरुद्वारा ब्रह्मकुण्ड(लगभग 3 किमी0)ब्रह्मकुण्ड घाट के निकट ब्रह्मदेव जी का एक छोटा-सा मन्दिर है जिसमें ब्रह्मा जी की चतुर्भुजी मूर्ति स्थापित है।मान्यता है कि गुरुनानकदेव जी को चतुरानन ब्रह्मा जी के साक्षात् दर्शन यहीं प्राप्त हुए थे।गुरु तेगबहादुर जी एवं गुरु गोविन्द सिंह जी का भी पावन प्रवास अयोध्या नगरी में हुआ था।घाट के पास विशाल गुरुद्वारा स्थित है,जहाँ प्रतिवर्ष सिख तीर्थ यात्री दर्शन के लिए आते है।20.अयोध्या के जैन मन्दिरअयोध्या के पाँच जैन तीर्थकरों होने का गौरव प्राप्त है।यहाँ पाँचो तीर्थकरों के मन्दिर है-तीर्थकर आदिनाथ मन्दिर ( मुरारी टोला,स्वर्गद्वार),तीर्थकर अजितनाथ मन्दिर (सप्तसागर,इटौआ) तीर्थकर अभिनन्दननाथ मन्दिर (सराय के निकट),तीर्थकर सुमन्तनाथ मन्दिर (रामकोट),तीर्थकर अनंतनाथ मन्दिर,(गोलाघाट)।रायगंज मोहल्ले में ऋषभदेव जी का विशाल मन्दिर है।इस मन्दिर में ऋषभदेव जी की 21 फुट ऊँची संगमरमर की दिगम्बर मूर्ति स्थापित है,जो अयोध्या स्थित जैन मंदिरों में स्थापित मूर्तियों में विशालतम है।21.राम की पैड़ी(लगभग 2 किमी0)अयोध्या गोरखपुर के राष्ट्रीय राजमार्ग पर सरयू के पल के निकट नदी के किनारे स्थित राम की पैड़ी अयोध्या का महत्वपूर्ण स्थान है।उद्यान एवं जलाशय यहाँ में आकर्षण है।22.मन्दिर श्री हनुमानबाग(लगभग 1.5 किमी0)अयोध्या जी के मोहल्ला में हनुमान बाग नामक एक भव्य स्थान का निर्माण एक भजनानंदी साधू द्वारा कराया गया है।यहाँ हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है।पास में ही हनुमत सत्संग भवन माँ भी निर्माण कराया गया है।23.श्री जानकी महल ट्रस्ट -(लगभग 1.5 किमी0)कलकत्ता के मारवाड़ी समाज द्वारा वासुदेवघाट मोहल्ले में एक बड़ा भूखण्ड क्रय कर श्रीजानकी महल के नाम से एक भव्य मन्दिर,अतिथिशाला,गौशाला का निर्माण कराया गया है।24.श्री बिड़ला मन्दिर(लगभग 1.किमी0)श्री अयोध्या जी के पुराने सब स्टेशन के सामने बिड़ला सेठ द्वारा बनवाया गया भव्य बिड़ला मन्दिर स्थित है,जहाँ पर श्रीराम जानकी की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है।25. श्री सरयू महानदीजय by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, श्री सीताराम जीजय श्री हनुमानजी महाराज,

टिप्पणियाँ

Vnita ने कहा…
जय श्री राम राम

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

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