By reciting these quadrants on Ram Navami, one gets the virtue of reading the entire Ramayana, every wish is fulfilled By philanthropist Vanita Kasania Punjab 4 Every wish is fulfilled by the recitation of these quadrupeds.Is said to be,
रामनवमी पर इन चौपाईयों का पाठ करने से, मिलता है पूरी रामायण पढ़ने का पुण्य, हो जाती है हर इच्छा पूरी
इन चौपाईयों के पाठ से हो जाती है हर इच्छा पूरी
कहा जाता हैं की रामनवमी के दिन रामायण ग्रंथ का पाठ करने से अनेक इच्छाएं पूरी हो जाती है, जन्म जन्मांतरों के पाप नष्ट हो जाते है, भय, रोग भी दूर हो जाते है । धन की कामना रखने वाले को धन की प्राप्ति होती है । अगर रामनवमी के दिन संपूर्ण रामायाण का पाठ नही हो सके तो, सुंदरकांड का पाठ कर लेना चाहिए और अगर वह भी संभव ना हो तो अपनी समस्याओं के निवारण के लिए रामायण की केवल इन 10 चौपाईयों का पाठ करने पूरी रामायण पाठ करने का लाभ मिल सकता है ।
श्रीरामचरित मानस में कुछ ऐसा चौपाईयों का वर्णन आता है, जिनके पाठ या जप से मनुष्य जीवन में आने वाली अनेक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है । वैसे तो कहा जाता हैं की रामनवमी के एक दिन पूर्व से ही रामनवमी पर्व की बेला तक संपूर्ण रामायण का पाठ करने से हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति की जा सकती है, लेकिन संभव न हो तो केवल इन 10 चौपाईयों के जप से ही सारे काम बन जाते है, और इनके पाठ के साथ सुंदरकांड का पाठ करने से संपूर्ण रामायण के पाठ का पुण्य फल मिल जाता हैं ।
1- मनोकामना पूर्ति एवं सर्वबाधा निवारण हेतु-
'कवन सो काज कठिन जग माही ।
जो नहीं होइ तात तुम पाहीं ।।'
2- भय व संशय निवृत्ति के लिए-
'रामकथा सुन्दर कर तारी ।
संशय बिहग उड़व निहारी ।।
3- अनजान स्थान पर भय के लिए मंत्र पढ़कर रक्षारेखा खींचे-
'मामभिरक्षय रघुकुल नायक ।
धृतवर चाप रुचिर कर सायक ।।'
4- भगवान राम की शरण प्राप्ति हेतु-
'सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना ।
सरनागत बच्छल भगवाना ।।
5- विपत्ति नाश के लिए-
'राजीव नयन धरें धनु सायक ।
भगत बिपति भंजन सुखदायक ।।
6- रोग तथा उपद्रवों की शांति हेतु-
'दैहिक दैविक भौतिक तापा ।
राम राज नहिं काहुहिं ब्यापा। ।'
7- आजीविका प्राप्ति या वृद्धि हेतु-
'बिस्व भरन पोषन कर जोई ।
ताकर नाम भरत ***** होई ।।'
8- विद्या प्राप्ति के लिए-
'गुरु गृह गए पढ़न रघुराई ।
अल्पकाल विद्या सब आई ।।'
9- संपत्ति प्राप्ति के लिए-
'जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं ।
सुख संपत्ति नानाविधि पावहिं ।।'
10- शत्रु नाश के लिए-
'बयरू न कर काहू सन कोई ।
रामप्रताप विषमता खोई ।।
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