पहले तो ये जानिए की मन्त्र जाप के विधान क्या है?
१. क्या आप गुरु प्रदत्त मंत्र का जाप क्र रहे हैं, या अपनी इच्छा से ही किसी मन्त्र का जाप क्र रहे हैं?
२. क्या आप स्थान, जाप की संख्या, अवधि, दिशा, ब्रह्मचर्य, भूमि शयन और अन्य नियमों का पालन सतत क्र रहे हैं?
३. पुरस्चरण के पश्चात हवन, तर्पण, मार्जन क्र रहे हैं?
४. मन्त्र के देवता, ऋषि, छंद का स्मरण , मन्त्र के देवता का ध्यान, उनकी पूजा अर्चना क्र रहे हैं?
इसके अलावा कई और भी विषय है, जिनको समझना जरूरी है,
फ़िलहाल आपके प्रश्न का उत्तर
मन्त्र सिद्ध होता है जापक के कुंडलनी स्तर बढने पर, मन्त्र के देवता के साथ स्थापत्य स्थिर होने पर और ध्यान में एकाकार होकर इष्ट से जुडाव होने पर, ये तीनो एक ही कार्य यानी की मन्त्र जाप में साधक की क्षमता पर बहुत निर्भर करते हैं.
मंत्र, गुरु और उसके प्रभाव गुरुगीता के कथनानुसार गोपनीय ही रखे जाते हैं, तो व्यक्तिगत अनुभव कोई साधक यहाँ लिखेगा नही, फिर भी जो प्रमाणिक कथन मिलें हैं वह आपको बतलाता हूँ.
१. आपकी कार्य करने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी.
२. आपके सहचर्य से लोगो को आनंद और सकरात्मकता की अनुभूति होगी
३. दुष्कर से दिखने वाले कार्य सहज में होने लगेंगे
४. एक्सीडेंट, लोकभय, या अन्य आपदाओं का आप पर कम असर पड़ेगा
५. मन्त्र में ध्यान के पश्चात आपको शान्ति का अनुभव होगा
६. सुख दुःख सर्दी गर्मी सहने का अभ्यास बढ़ जायेगा
७. आप दुसरो की मुश्किलें आसानी से हल कर पाएंगे
८. पूर्वाभास् होने लगेगा
९. आप रोग मुक्त होने लगेंगे
१०. अनायास ही नये अवसर और नये विचार आपके जीवन को उच्च गति देंगे
११. आपकी वाणी में अलग मिठास, मधुरता, और प्रभाव होगा
१२. शरीर में अलग कांति, लालिमा और चेहरे पर अलग आभा नजर आएगी
१३. लोगो की पहचान करना, उनहे आपसे क्या चाहिए ये आप जल्दी जान पाएंगे
१४. पूर्व पाप कर्म दग्ध होने लगेंगे
१५. यदि आप मासं मदिरा का सेवन (या अन्य व्यसन) में होंगे तो स्वयम से ही छोड़ देंगे
१६. दिव्य अनुभूतियाँ होती रहेंगी
१७. आपकी क्षमता के अनुसार दिव्य दर्शन, ध्यान में अंतर यात्रा, गोपनीय विषयों में उत्तर स्वयं से मस्तिष्क में प्रकट होने लगेंगे, अंतर आत्मा से उत्तर प्राप्त होने लगेंगे, आकाशवाणी क आभास होगा, स्वप्न में देवता का साकार या ब्रह्म का निराकार स्वरुप, ध्यान में किसी के साथ बेठे होने का संकेत
१७. ध्यान में शीतलता का आभास
१८. कुण्डलिनी शक्ति का आभास अलग अलग चक्रों में
१९. बड़ी आपदाओं में भी आप घबराएंगे नहीं, सहज रूप से आप निपट पाएंगे
२०. पाप कर्मो से रूचि घटेगी
२१. संग्रह की इच्छा कम होगी
२२. जीभ पर स्वतः नियंत्रण होगा
२३. मन और शरीर के विकारों का नाश होना शुरू होगा
सुनने में शायद आपमें से कई लोगो को ये अटपटे लगे, पर कई साधकों के अनुभव रूपी ये २३ पॉइंट्स मेने लिखे हैं, इनके अलावा भी अनगिनत लाभ होते हैं,
पर सावधान, लाभ के लिए करोगे जाप, तो कुछ समय के बाद मन्त्र की शक्ति क्षीण होगी और आप फिर ज्यों के त्यों,
मेहनत करते रहे और सतत ध्यान, जप करते रहे.
जय श्री राम
मेंने अनुसरण किया और मंत्र जाप पूर्ण होने पर उन्हें बताया उसके दो रोज बाद जब मे छत पर बैठा कुछ लिखने का प्रयास कर रहा था तो अचानक से मेरा हाथ बहुत तेजी से कांपने लगा, मुझे लगा कहीं ये लकवा तो नहीं डर से उस समय लकवे से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को मेंने उन्हीं कुछ मिनटों मे जी लिया के कैसे ये पूरे शरीर मे फैलेगा…
जब मेंने गुरूजी से इसके बारे मे बात की तो उन्होंने कहा ये मंत्र शक्ति है जो मुझ से सम्भल नहीं रही एक से दो दिन मे सब ठीक हो जाएगा वैसा ही हुआ…. हालाँकि मेंने रूद्राक्ष माला गलत तरीके से पकडी उसे अंगूठे और उसके पास वाली अंगुली से जपा, गुरु मुख के उपर से भी जाप किया जो गलत था पर मंत्र के प्रति मेरी आस्था और दोहराव सही था…..
मुझे नहीं पता ये सिद्ध होगा या नहीं या हुआ या नहीं… पर इससे मुझमे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ जो मेरे लिए काफी थी
मुझे कयी बातें सीखने को मिली
अब मेंने माला सही तरीके से जपता हू
मुझे पता चला गुरु मंत्र किसी और को नहीं बताते…
मेरा हमेशा से मानना है कि ये संसार एक एनर्जी चला रही है…
अगर हम अच्छे कर्म करते है तो हमारे चारो तरफ एक सात्विक एनर्जी का आयाम रहता है…. और बुरे कर्मों से तामसिक एनर्जी का आयाम बन जाता है जो हमें और बुराई की तरफ ले जाता है….
जब भी मैं कहीं शिवाय, महादेव, रुद्राय सुनता हू एक एनर्जी मेरे शरीर मे प्रवाहित होती है हर बार मेरे हाथो के बाल खड़े हो जाते हैं और एक जोश आता है…
बोलो हर हर महादेव
500 से अधिक अपवोटो के लिए आप सब का तहे-दिल से शुक्रिया, हालाँकि मेंने 10 से ज्यादा अपवोटो की भी उम्मीद नहीं की थी ये मेरी शायद दूसरी पोस्ट है इससे पहली वाली पोस्ट पे शायद 5 या 6 अपवोट आए थे
पहली बार इतने अपवोट देख कर कितनी खुशी होती है कोई मुझ से पूछे….
जब लोगों की इतने अपवोटो पर धन्यवाद करते देखता था तो मुझे लगा मुझे भी करना चाहिए और संपादित करते समय पोस्ट मे कुछ गलती ना हो इसलिए पहले पुरानी किसी पोस्ट को संपादित कर के देखा….
यहा मैं थोड़ा और बताना chahungi जो पोस्ट लिखते समय मुझसे छुट gyi….
कंपन सिर्फ मेरे उसी हाथ की उँगलियों मे हुआ था जिससे मेंने माला जपी थी और जिन उँगलियों का इसमे सहयोग था….
टिप्पणियाँ