Sanakadic Brahmadi Munisa. Ahisa with Narada Sarad. (14) Meaning: Srisnak, Srisanatana, Srisanandan, Srisanatkumar etc. Muni, Brahma etc. Gods, Naradji, Saraswatiji, Sheshnagji etc. Your fame is not fully described
सनकादिक ब्रम्हादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा
अर्थ : श्रीसनक, श्रीसनातन, श्रीसनन्दन, श्रीसनत्कुमार आदि मुनि, ब्रम्हा आदि देवता, नारदजी, सरस्वतीजी, शेषनागजी आदि आपके यशको पूरी तरह वर्णन नहीं कर सकते । तुलसीदासजी यहाँपर यह कहना चाहते हैं कि श्री हनुमानजी की प्रशंसा केवल भगवान रामने ही नहीं की अपितु सृष्टि के सर्जक ब्रम्हाजी तथा ब्रम्हाजी द्वारा उत्पन्न मानसपुत्र सनकादिक मुन (श्रीसनक,श्रीसनातन,श्रीसनन्दन, एवं श्री सनत्कुमार), भगवान के मन के अवतार श्री नारदजी तथा आदिशक्ति माता सरस्वतीजी इत्यादि सभी हनुमानजी के गुणोंका गुणगान करते हैं । वे कहते हैं कि हम भी श्री हनुमानजी के गुणोंका तथा यश का वर्णन पूरी तरह से नहीं कर सकते, भक्ति की ऐसी परमोच्च स्थिति हनुमानजीने अपने कतृर्त्व से प्राप्त की। हनुमानजी के जीवन में ज्ञान-भक्ति और कर्म का अद्भूत समन्वय दिखायी देता है इसीलिए सनकादिक मुनीयाेंने तथा देवर्षी नारदने भी हनुमानजी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की है । हनुमानजी सततं योगी थे उनके तो रोम-रोम मे राम बसे हुए थे इसीलिए ब्रम्हादिक मुनीयोंने भी उनकी प्रशंसा की है । हमे भी हनुमानजी का आदर्श सामने रखते हुए जीवन को ज्ञान-भक्ति और कर्ममय बनाना चाहिए तो ही हम सच्चे अर्थ में हनुमानजी के भक्त कहलाने के अधिकारी होंगे ।
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