आरती कीजै श्री रघुवर जी की|सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||टेक||by समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबदशरथ तनय कौशल्या नन्दन|सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन||आरती कीजै०||अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन|मर्यादा पुरुषोतम वर की||आरती कीजै०||निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि|सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि||आरती कीजै०||हरण शोक-भय दायक नव निधि|माया रहित दिव्य नर वर की||आरती कीजै०||जानकी पति सुर अधिपति जगपति|अखिल लोक पालक त्रिलोक गति||आरती कीजै०||विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति|एक मात्र गति सचराचर की||आरती कीजै०||शरणागत वत्सल व्रतधारी|भक्त कल्प तरुवर असुरारी||आरती कीजै०||नाम लेत जग पावनकारी|वानर सखा दीन दुख हर की||आरती कीजै श्री रघुवर जी की|सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||
आरती कीजै श्री रघुवर जी की|
सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||टेक||
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन|
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन||
आरती कीजै०||
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन|
मर्यादा पुरुषोतम वर की||
आरती कीजै०||
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि|
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि||
आरती कीजै०||
हरण शोक-भय दायक नव निधि|
माया रहित दिव्य नर वर की||
आरती कीजै०||
जानकी पति सुर अधिपति जगपति|
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति||
आरती कीजै०||
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति|
एक मात्र गति सचराचर की||
आरती कीजै०||
शरणागत वत्सल व्रतधारी|
भक्त कल्प तरुवर असुरारी||
आरती कीजै०||
नाम लेत जग पावनकारी|
वानर सखा दीन दुख हर की||
आरती कीजै श्री रघुवर जी की|
सत् चित आनन्द शिव सुन्दर की||
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