ॐ जय लक्ष्मीरमणा,By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||टेक||रत्नजटित सिंहासन, अद्भुत छवि राजै|नारद करत निराजन घंटा ध्वनी बाजै||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....प्रकट भयें कलिकारण, द्विज को दरस दियो|बूढों ब्राह्मण बनके, कंचन महल कियो||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी|च्रंदचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दिन्हीं|सो फल भोग्यो प्रभूजी, फेर अस्तुति किन्हीं||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रुप धरयो|श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....ग्वाल बाल संग राजा, वन में भक्ति करी|मनवांचित फल दिन्हों, दीन दयालु हरि||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा|धूप दीप तुलसी से, राजी सत्य देवा||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे|तन-मन-सुख-संपत्ति, मन-वांछित फल पावै||ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा,
स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||टेक||
रत्नजटित सिंहासन, अद्भुत छवि राजै|
नारद करत निराजन घंटा ध्वनी बाजै||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी....
प्रकट भयें कलिकारण, द्विज को दरस दियो|
बूढों ब्राह्मण बनके, कंचन महल कियो||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी|
च्रंदचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दिन्हीं|
सो फल भोग्यो प्रभूजी, फेर अस्तुति किन्हीं||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रुप धरयो|
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ग्वाल बाल संग राजा, वन में भक्ति करी|
मनवांचित फल दिन्हों, दीन दयालु हरि||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा|
धूप दीप तुलसी से, राजी सत्य देवा||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे|
तन-मन-सुख-संपत्ति, मन-वांछित फल पावै||
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी.....
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा||
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