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माता कैकयी के लिए धारणा बदलिए आप बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाब'अध्यात्म रामायण' कहती है कि एक रात जब माता कैकेयी सोती हैं तो उनके स्वप्न में विप्र, धेनु, सुर, संत सब एक साथ हाथ जोड़ के आते हैं और उनसे कहते हैं कि 'हे माता कैकेयी, हम सब आपकी शरण में हैं। महाराजा दशरथ की बुद्धि जड़ हो गयी है तभी वो राम को राजा का पद दे रहे हैं। अगर प्रभु राजगद्दी पर बैठ गए तब उनके अवतार लेने का मूल कारण ही नष्ट हो जायेगा। माता, सम्पूर्ण पृथ्वी पर सिर्फ आपमें ही ये साहस है की आप राम से जुड़े अपयश का विष पी सकती हैं। कृपया प्रभु को जंगल भेज के सुलभ करिये, युगों-युगों से कई लोग उद्धार होने की प्रतीक्षा में हैं। त्रिलोकस्वामी का उद्देश्य भूलोक का राजा बनना नहीं है। अगर वनवास ना हुआ तो राम इस लोक के 'प्रभु' ना हो पाएंगे माता।' ये कहते-कहते देवता घुटनों पर आ गए। माता कैकेयी के आँखों से आँसू बहने लगे। माता बोलीं - 'आने वाले युगों में लोग कहेंगे कि मैंने भरत के लिए राम को छोड़ दिया लेकिन असल में मैं राम के लिए आज भरत का त्याग कर रही हूँ। मुझे मालूम है इस निर्णय के बाद भरत मुझे कभी स्वीकार नहीं करेगा।' रामचरित मानस में भी कई जगहों पर इसका संकेत मिलता है जब गुरु वशिष्ठ दुःखी भरत से कहते हैं -सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ।हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ।हे भरत ! सुनो भविष्य बड़ा बलवान् है। हानि-लाभ, जीवन-मरण और यश-अपयश, ये सब विधाता के ही हाथ में है, बीच में केवल माध्यम आते हैं। प्रभु इस लीला को जानते थे इसीलिए चित्रकूट में तीनों माताओं के आने पर प्रभु सबसे पहले माता कैकेयी के पास ही पहुँच कर प्रणाम करते हैं क्यूंकि उनको पैदा करने वाली भले ही कौशल्या जी थीं लेकिन उनको 'मर्यादा पुरुषोत्तम' बनाने वाली माता कैकेयी ही थीं। 🙏 🌹जय श्री राम🌹 🙏

माता कैकयी के लिए धारणा बदलिए आप 
'अध्यात्म रामायण' कहती है कि एक रात जब माता कैकेयी सोती हैं तो उनके स्वप्न में विप्र, धेनु, सुर, संत सब एक साथ हाथ जोड़ के आते हैं और उनसे कहते हैं कि 'हे माता कैकेयी, हम सब आपकी शरण में हैं। महाराजा दशरथ की बुद्धि जड़ हो गयी है तभी वो राम को राजा का पद दे रहे हैं। अगर प्रभु राजगद्दी पर बैठ गए तब उनके अवतार लेने का मूल कारण ही नष्ट हो जायेगा। माता, सम्पूर्ण पृथ्वी पर सिर्फ आपमें ही ये साहस है की आप राम से जुड़े अपयश का विष पी सकती हैं। कृपया प्रभु को जंगल भेज के सुलभ करिये, युगों-युगों से कई लोग उद्धार होने की प्रतीक्षा में हैं। त्रिलोकस्वामी का उद्देश्य भूलोक का राजा बनना नहीं है। अगर वनवास ना हुआ तो राम इस लोक के 'प्रभु' ना हो पाएंगे माता।' ये कहते-कहते देवता घुटनों पर आ गए। 
माता कैकेयी के आँखों से आँसू बहने लगे। माता बोलीं - 'आने वाले युगों में लोग कहेंगे कि मैंने भरत के लिए राम को छोड़ दिया लेकिन असल में मैं राम के लिए आज भरत का त्याग कर रही हूँ। मुझे मालूम है इस निर्णय के बाद भरत मुझे कभी स्वीकार नहीं करेगा।' 

रामचरित मानस में भी कई जगहों पर इसका संकेत मिलता है जब गुरु वशिष्ठ दुःखी भरत से कहते हैं -
सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ।
हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ।
हे भरत ! सुनो भविष्य बड़ा बलवान् है। हानि-लाभ, जीवन-मरण और यश-अपयश, ये सब विधाता के ही हाथ में है, बीच में केवल माध्यम आते हैं। 

प्रभु इस लीला को जानते थे इसीलिए चित्रकूट में तीनों माताओं के आने पर प्रभु सबसे पहले माता कैकेयी के पास ही पहुँच कर प्रणाम करते हैं क्यूंकि उनको पैदा करने वाली भले ही कौशल्या जी थीं लेकिन उनको 'मर्यादा पुरुषोत्तम' बनाने वाली माता कैकेयी ही थीं। 🙏 🌹जय श्री राम🌹 🙏

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,। 🌹भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है.🌹पत्थर का स्वभाव है डूब जाना, अगर कोई पत्थर का आश्रय लेकर जल में उतरे तो वह भी पत्थर के साथ डूब जाता है। वानर का स्वभाव चीजों को तोड़ने वाला होता है, जोड़नेवाला नहीं। समुद्र स्वभाववश सबकुछ स्वयं में समा लेनेवाला है। नदियों के जल को स्वयं में समा लेनेवाला। वह किसी को कुछ सरलता से कहाँ देनेवाला है! तीनों ने रामकाज के लिए अपने स्वभाव से विपरीत कार्य कियापत्थर पानी में तैरने लग गए, वानरसेना ने सेतु बंधन किया, सागर ने सीना चीरकर मार्ग दिया और स्वयं सेतुबंधन में मदद की।इसी प्रकार जीवन में भी यदि कोई कार्य हमारे स्वभाव से विपरीत हो रहा हो पर वह सबके भले में हो तो जानना चाहिये कि शायद श्रीराम हमारे जीवन में कोई एक और सेतु बंधन कार्य कर रहे है। भगवान का हर विधान मंगलकारी होता है।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब जय सीताराम जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹,

*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🌹🙏🌹 #जय__श्री__राम_ 🌹🙏🌹🙏🙏#जय__जय__सिया__राम_🙏🙏⛳⛳#जय_पवनपुत्र_हनुमान_ ⛳⛳ *🛕राम राम🚩राम राम🛕* *🛕││राम││🛕* *🛕राम🛕* * 🛕*🌞जय श्री सीताराम सादर सुप्रभात जी🌞┈┉┅━❀꧁आज के अनमोल मोती꧂❀━┅┉┈*समस्याएँ हमारे जीवन मेंबिना किसी वजह के नहीं आती.....**उनका आना एक इशारा है किहमे अपने जीवन में कुछ बदलना है.....*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏*कपड़े से छाना हुआ पानी**स्वास्थ्य को ठीक रखता हैं।*और...**विवेक से छानी हुई वाणी**सबंध को ठीक रखती हैं॥**शब्दो को कोई भी स्पर्श नही कर सकता..*_🙏🙏🙏_*....पर....*_🙏🙏🙏_*शब्द सभी को स्पर्श कर जाते है*🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏┈┉┅━❀꧁🙏"जय श्री राम"🙏 ꧂❀━┅┉┈*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*🙏🙏*सभी भक्त प्रेम से बोलो*✍️ 🙏"जय श्री राम रामाय नमः 🙏⛳🙏#जय_जय_सिया_राम__🙏⛳🙏#सियावर_रामचन्द्र__की__जय#🙏*ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ*

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली आंसू पोंछती है#और सुख में दसो अंगुलियाँ ताली बजाती है🌹By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा करता है तो#दुनिया से गिला-शिकवा क्या करना...!!🌹 🌹 #दुनियाँ की सबसे अच्छी किताब हम स्वयं हैं #खुद को समझ लीजिए #सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा...🌹 बाल वनिता महिला आश्रम ❤️ #जय श्री कृष्णा जय श्री राधे ❤️🌹 #शुभ_प्रभात🌹

🌹 #दुःख में स्वयं की एक अंगुली       आंसू पोंछती है #और सुख में दसो अंगुलियाँ           ताली बजाती है🌹 By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब 🌹 #जब स्वयं का शरीर ही ऐसा            करता है तो #दुनिया से गिला-शिकवा          क्या करना...!!🌹          🌹 #दुनियाँ की सबसे       अच्छी किताब हम स्वयं हैं       #खुद को समझ लीजिए               #सब समस्याओं का          समाधान हो जाएगा...🌹                                                                                             बाल वनिता महिला आश्रम               ...